Madhubani News. लदनियां. बिहार विशेष भूमि सर्वेक्षण कार्य शुरू होते ही सबूतों को लेकर रैयतों के सामने कई समस्याएं उत्पन्न हो गई है. जिसके लिए रैयत भटक रहे हैं. तत्काल सीएस खतियान की अनुपलब्धता एवं कैथी लिखावट का अनुवाद ना हो पाना रैयतों के सामने मुख्य समस्या है. कई रैयतों के पास सीएस खतियान उपलब्ध नहीं है, तो कई रैयतों के पास वर्ष 1931 एवं उसके आसपास का केवाला उपलब्ध हैं. जिसकी लिखावट कैथी भाषा में है. लेकिन उसे हिंदी में अनुवाद करने वाला कोई नहीं है. जिसके कारण रैयत दर दर भटकने को मजबूर हैं. इस संबंध में कानूनगो राम प्रवेश सिंह ने बताया कि फिलहाल साक्ष्य के रूप में सीएस खतियान एवं केवाला ही मान्य है. आरएस खतियान मान्य नहीं है. कैथी लिखावट के संदर्भ में पूछे जाने पर कानूनगो ने बताया कि सरकार द्वारा अनुवादक बहाल करने की बात कही गई हैं. लेकिन अभीतक सर्वे कार्यालय में एक भी अनुवादक उपलब्ध नहीं है. सरकार द्वारा रैयतों को साक्ष्य जुटाने के लिए तीन महीने की मोहलत दिए जाने संबंधित पेपर में छपे समाचार के संबंध में प्रश्न पूछे जाने पर कानूनगो ने बताया कि इसकी विधि सम्मत कोई सूचना अभी तक कार्यालय को उपलब्ध नहीं हुआ है.
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