अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस पर पॉलीथिन का उपयोग नहीं करने का लें संकल्प
पॉलीथिन हमारे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है. अब हमें इसे हराना ही होगा. पॉलीथिन सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं अन्य जीव-जंतुओं के लिए भी संकट बन चुका है.
मधुबनी . पॉलीथिन हमारे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है. अब हमें इसे हराना ही होगा. पॉलीथिन सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं अन्य जीव-जंतुओं के लिए भी संकट बन चुका है. प्लास्टिक से छुटकारा पाना हम सभी की जागरुकता पर ही निर्भर है. हम सभी को पॉलीथिन के उपयोग नहीं करने का संकल्प लेना होगा. खुद के लिए व पर्यावरण के लिए हम सभी को एक साथ पहल करनी होगी. बाजार जाएं तो थैला लेकर जाएं. इससे बेकार की परेशानी से निजात मिलेगी. जिले में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने समय रहते पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक को ना कहा व झोला का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्ति दिवस पर हम संकल्प लें की अपने जीवन में कभी भी पॉलीथिन का उपयोग नहीं करेंगे. प्रतिबंध का नहीं दिख रहा असर करीब दो वर्ष पूर्व लगे प्रतिबंध के बावजूद शहर में पॉलीथिन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है. दुकानदार बेखौफ होकर पॉलीथिन में ग्राहकों को सामान दे रहे हैं. ग्राहक भी पॉलीथिन में सामान लेने से मना नहीं कर रहे हैं. हर एक चौक-चौराहों पर ठेले पर बिकने वाली फल सब्जी पॉलीथिन में दिए जा रहे हैं. बताते चलें कि 1 जुलाई 2022 से प्रतिबंध के बाद निगम द्वारा लगातार छापेमारी अभियान चलाया जा रहा था. जिसके बाद दुकानदारों में दहशत व्याप्त हो गया था. लेकिन निगम का अभियान सुस्त पड़ने के कारण दुकानदार बेखौफ होकर पॉलीथिन का उपयोग कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक नगर निगम द्वारा अभियान चलाने के बाद चोरी छुपे 6 से 7 क्विंटल रोजाना पॉलीथिन की खपत आ पहुंची थी. लेकिन वर्तमान समय में निगम द्वारा अभियान सुस्त पड़ने पर प्रतिदिन पॉलीथिन की खपत 12 से 14 क्विंटल के आस-पास हो गया है. आम जनजीवन में स्थान बना चुका है पॉलीथिन सिंगल यूज प्लास्टिक एवं पॉलीथिन न केवल सेहत के लिए बल्कि पृथ्वी, पर्यावरण समेत पशु पक्षियों के लिए भी हानिकारक साबित हो रहा है. अन्य प्लास्टिक उत्पादों की तुलना में दोबारा किसी अन्य रूप में गलाया नहीं जा सकता है. इसलिए यह व्यवसायिक रूप से बेकार हो जाता है और वह कूड़ा कचरे का ढेर बन जाता है. यह सामान आम जनजीवन में ऐसा स्थान बना चुकी है जिसके बिना कोई कार्य पूरा नहीं होता है. आम जनजीवन में नमक से लेकर सब्जी, मांस, मछली, मिठाई यहां तक की पूजा के सामान भी इसी प्लास्टिक के थैले में हर घरों में पहुंचता है. इसके बाद नाली-नाला होते हुए फिर नदी को प्रदूषित करती है. पॉलीथिन के उपयोग से नहीं हिचकिचाते लोग हमारी असंवेदनशीलता का परिणाम यह हुआ है कि जल, हवा सब कुछ प्रदूषित हो रहा है और हम उसे रोज-रोज बढ़ा रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में तो प्लास्टिक का उपयोग कम हो रहा है लेकिन शहरी क्षेत्र में यह सबसे अधिक हो रहा है. हर व्यक्ति इसे अपने जीवन का अपना प्रमुख अंग बना चुके हैं. अभिभावकों को इसका उपयोग करते देख छोटे-छोटे बच्चे भी इसका उपयोग कर रहे हैं. इसे मना नहीं किया जा रहा है. अधिक उम्र के लोग जब बाजार निकलते हैं तो हाथ में कपड़े का थैला लिए जाते हैं लेकिन युवा कपड़े के थैले ले जाने में हिचकिचाते हैं. नगर प्रशासन को और एक्टिव होने की है जरूरत प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए इसका प्रयोग प्रतिबंधित होने के बाद नगर पंचायत, नगर परिषद एवं नगर निगम को विशेष टास्क फोर्स को और एक्टिव करने की जरूरत है, जिससे सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल में कमी आये. कार्रवाई में सुस्ती की वजह से दुकानदार ग्राहकों को प्लास्टिक में सामान दे देते हैं. क्या कहते हैं अधिकारी नगर निगम के सिटी मैनेजर राजमणि कुमार ने कहा कि पॉलीथिन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा. लगातार प्रचार-प्रसार कराया गया है. लोगों को इसके दुष्परिणाम को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. शीघ्र पॉलीथिन के विरुद्ध अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी. थोक विक्रेताओं की सूची तैयार की जा रही है.
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