Madhubani News. निम्न प्रदर्शन करने वाले प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व चलंत चिकित्सा दल से जवाब-तलब

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत निम्न प्रदर्शन करने वाले जिले के चार प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं चलंत चिकित्सा दल से जवाब-तलब करने का पत्र राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डा. विजय कुमार राय ने सिविल सर्जन को दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 23, 2024 10:14 PM

Madhubani News. मधुबनी. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत निम्न प्रदर्शन करने वाले जिले के चार प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं चलंत चिकित्सा दल से जवाब-तलब करने का पत्र राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डा. विजय कुमार राय ने सिविल सर्जन को दिया है. जारी पत्र में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ने कहा है कि समीक्षा क्रम में जिले के जयनगर, घोघरडीहा, लदनियां एवं लौकही के चलंत चिकित्सा दल द्वारा प्रतिदिन 40 से कम बच्चों की जांच की गई है. साथ ही एसपीओ ने वैसे प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से भी स्पष्टीकरण पूछने का निर्देश दिया है जिनके द्वारा चलंत चिकित्सा दल से बच्चों की जांच नहीं कराकर उन्हें अन्य कार्यों में लगाया जा रहा है. जिला स्तर पर जिला समन्वयक एवं डीईआईसी मैनेजर के कार्यों की भी समीक्षा करने का निर्देश दिया है. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के फर्मासिस्ट को चलंत चिकित्सा दलों में शामिल कर उनसे बच्चों की स्वास्थ्य जांच एवं डाटा संधारण का कार्य लेने का निर्देश दिया गया है. आरबीएसके वेब पोर्टल पर चलंत चिकित्सा दल में शामिल आयुष चिकित्सकों के नाम को अपलोड कराया जाए. ताकि उनके कार्यों का अनुश्रवण किया जा सके एवं जिम्मेदारी तय की जा सके. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का उद्देश्य 0 से 18 वर्षों के बच्चों में चार तरह की परेशानियों की जांच और इलाज करना है. इन परेशानियों में जन्म के समय किसी तरह के विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रूकावट की जांच शामिल है. कार्यक्रम के अंतर्गत चलंत चिकित्सा दलों के माध्यम से जिले के सभी प्रखंडों के आंगनबाड़ी केंद्रों व सरकारी एवं सरकारी मान्यता प्राप्त विद्यालय में बच्चों की स्वास्थ्य जांच व स्क्रीनिंग की जाती है. बच्चों का ऐसे होता है इलाज सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए गठित मोबाइल मेडिकल टीम जिले के हर आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में पहुंचती है. टीम में शामिल आयुष चिकित्सक बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं. ऐसे में जब सर्दी- खांसी व जाड़ा–बुखार जैसी सामान्य बीमारी होगी तब तुरंत बच्चों को दवा दी जाती है. लेकिन बीमारी गंभीर होने पर उसे आवश्यक जांच एवं समुचित इलाज के लिए निकटतम पीएचसी में भेजा जाता है. टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी ऊंचाई, सिर की परिधि, बांह की मोटाई की नापतौल करती है. फार्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों से संबंधित बातों को ऑन द स्पॉट क्रमवार अंकित करते हैं. 45 तरह की बीमारियों का होता है इलाज आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. दीपक कुमार गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 0 से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों में 45 तरह की बीमारियों की जांच कर उसका समुचित इलाज किया जाता है. इन सभी बीमारियों को चार मूल श्रेणियों में बांटकर इसे 4 डी का नाम दिया गया है. इसके तहत जिन बीमारियों का इलाज होता है उनमें दांत सड़ना, हकलापन, बहरापन, किसी अंग में सूनापन, गूंगापन, मध्यकर्णशोथ, आमवाती हृदयरोग, प्रतिक्रियाशील हवा से होने वाली बीमारियां, दंत क्षय, ऐंठन विकार, न्यूरल ट्यूब की खराबी, डाउनसिंड्रोम, फटे होठ एवं तालू व सिर्फ फटा तालू, मुद्गरपाद (अंदर की ओर मुड़ी हुई पैर की अंगुलियां), असामान्य आकार का कूल्हा, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदयरोग, असामयिक दृष्टिपटल विकार शामिल है. बच्चों को दिया जाता है हेल्थ कार्ड आरबीएसके कार्यक्रम में 0 शून्य से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों की बीमारियों का समुचित इलाज किया जाता है. 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी केंद्रों में, जबकि 6 से 18 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग उनके स्कूलों में की जाती है. आंगनबाड़ी केंद्रों पर साल में दो बार प्रति 6 महीने पर जबकि स्कूलों में साल में एक बार बच्चों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग की जाती है. स्क्रीनिंग करते वक्त बच्चों को हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है.

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