मधुबनी. काली मंदिर के बगल में खाली जमीन इन दिनों बच्चों को खासे लुभा रहा है. यहां पर चिल्ड्रेन पार्क बन गया है. एक ओर जहां यह बच्चों व बुजुर्गों के लिये खासे उपयोगी है, वही इससे विभाग को भी अच्छी आय हो रही है. प्रत्येक दिन औसतन पंद्रह सौ से दो हजार रुपये तक की आमदनी हो रही है. पर यह जगह बीते छह माह पूर्व तक शहर के गंदगी का डंपिंग यार्ड था. पार्क के अंदर गंदगी का अंबार लगा रहता था. जहां हमेशा सूअर, घोड़ा सहित अन्य आवारा पशुओं का जमावड़ा रहता. गंदगी इस कदर रहती थी कि लोग इस रास्ते से जाने तक से परहेज करते थे. लेकिन आज माहौल बदल चुका है. प्रत्येक दिन सैकड़ो बच्चे उस पार्क में खेलने के लिए आते है. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग बिहार सरकार के सौजन्य से बने चिल्ड्रेन पार्क में बच्चों को खेलने व बुजुर्गों को व्यायाम करने के लिए कई तरह के सामान उपलब्ध है.
92 लाख की लागत से बना है पार्क
वन विभाग के रेंजर अभय कुमार सिंह ने कहा कि पिछले साल 92 लाख की लागत से पार्क को बनाया गया. पार्क के भीतर लोगों को बैठने के लिए बेंच पार्क के चारों तरफ टहलने के लिए घास भी लगाया गया है. साथ ही बच्चों को खेलने के लिए कई तरह के झूले का भी व्यवस्था किया गया है. बच्चों व बुजुर्गों के लिए पार्क के भीतर स्वच्छ पीने की पानी के लिए एक्वागार्ड लगाया गया है. उन्होंने कहा कि पार्क के सफाई के लिए चार लेबर रखा गया है. जो सुबह शाम सफाई करता है. साथ ही पार्क में चारों तरफ लाइट लगाया गया है.
घूमने के लिए 10 रुपये का लेना होगा टिकट
वनरक्षक मुकेश कुमार ने कहा कि पार्क में घूमने के लिए प्रतिदिन लगभग 200 बच्चे आते हैं. बच्चों के लिए पार्क के भीतर स्लाइडर झूला, साइकिल झूला, राउंड झूला सहित और कई तरह के उपकरण लगाया गया है. जबकि लोगो को व्यायाम के लिए पुशअप, दौर साइकिल सहित कई तरह के उपस्कर लगाया गया है. श्री कुमार ने कहा कि पार्क में प्रतिदिन 1500 से दो हजार तक का टिकट का बिक्री होता है. 2 दिसंबर को उद्घाटन होने के बाद अभीतक लगभग दो लाख से ज्यादा राशि प्राप्त किया गया है.
श्रद्धालुओं का मन भी खुश
काली मंदिर में दर्शन करने प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं का कहना था कि अब मंदिर में आने वाले श्रद्धालु भी मां की पूजा अर्चना सही से कर पाते हैं. अब यहां का माहौल बदल गया है. पहले दुर्गंध से हाल खराब हो जाता था. पर अब ऐसा नहीं है. बीएन झा कॉलोनी के प्रो मनोज चंदन व डॉ रजनी झा ने कहा कि हम पिछले कई सालों से नियमित रुप से मंदिर आते हैं. पहले मंदिर आने के लिए मन खिन्न हो जाता था. लेकिन पिछले छह महीने से मंदिर आते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है