बेनीपट्टी. प्रखंड के परजुआर पंचायत के डीहटोल स्थित सलहेस गहबर परिसर में सोमवार को सलहेस पूजनोत्सव का आयोजन किया गया. पूजनोत्सव में सैकड़ों लोग शामिल हुए. रविवार को विधिवत डीहवार पूजा कर आमंत्रण दिया गया. तत्पश्चात सोमवार की सुबह पूजा प्रारंभ होने से पहले सलहेस गहबर में पूजा कराने वाले भक्त ने पान, सुपारी लड्डू व धूप दीप अर्पण कर पूजनोत्सव का संकल्प लिया. इस दौरान गायकों द्वारा सलहेस महाराज की कृतियों का गुणगान किया गया. सभी श्रद्धालुओं पर अपनी कृपा बनाये रखने की आरजू विनती की गई. इस संबंध में हरि शरण पासवान, राजेंद्र पासवान, दुःखी पासवान, प्रमोद पासवान व शिवशंकर पासवान समेत अन्य लोगों ने बताया कि यहां बीते तीन पीढ़ियों से हर साल धूमधाम व हर्षोल्ल्लास के साथ तमाम ग्रामीणों के सहयोग से सलहेस महाराज की पूजा अर्चना की जाती है. जिसमें ग्रामीण बढ़ चढ़ भाग लेते हैं. एक सप्ताह पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है. बताया कि राजा सलहेस शक्ति शील व सौंदर्य तीनों गुणों से परिपूर्ण थे. वे अपनी प्रजा की रक्षा के लिये घोड़े पर सवार होकर क्षेत्र का भ्रमण करते थे. राजा सलहेस अपने राज्य के उत्तर की ओर तिब्बतियों के आक्रमण से कई बार बचाकर और युद्ध में विजय प्राप्त कर अपने नाम पर्वतों का राजा अर्थात शैलेश अर्थात सलहेस को सार्थक किया था. जनश्रुति के अनुसार वे चारो वेद के भी ज्ञाता थे. महापराक्रमी थे. इसलिए आज भी दलित समुदाय के लोग उनके नाम का गहबर बनाकर उन्हें अपने प्रमुख देवता के रूप में पींड स्थापित कर उनकी विधिवत पूजा अर्चना करते हैं. नेपाल में हर वर्ष भव्य मेला का आयोजन किया जाता है. भक्तिमय गीतों व पूजनोत्सव से आस-पास का वातावरण भक्तिमय बना रहा.
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