पोषण पुनर्वास केंद्र में अधिक से अधिक बच्चों को भेजें
जिले के कुपोषित बच्चों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा एवं कुपोषण मुक्त करने के लिए सरकार द्वारा पोषण पुनर्वास केंद्र अनुमंडलीय अस्पताल जयनगर में संचालित किया जा रहा है.
मधुबनी. जिले के कुपोषित बच्चों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा एवं कुपोषण मुक्त करने के लिए सरकार द्वारा पोषण पुनर्वास केंद्र अनुमंडलीय अस्पताल जयनगर में संचालित किया जा रहा है. उद्देश्य है कि जिले में कुपोषण को दूर कर बच्चों का स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके. लेकिन विडंबना यह है कि पोषण पुनर्वास केंद्र में दिसंबर 2022 से लेकर 20 जून तक महज 130 बच्चों को ही भर्ती किया गया. इसमें 73 कुपोषित बच्चों को इलाज के बाद घर भेज दिया गया. वहीं 17 बच्चों को बेहतर इलाज के लिए रेफर किया गया. जबकि 40 बच्चों के परिजनों ने पदाधिकारी को बिना जानकारी दिये घर ले गये. इसमें मार्च में 2, अप्रैल में 1, मई में 2 तथा 20 जून तक 12 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया गया. जिसमें से 4 बच्चों को इलाज के बाद घर भेज दिया गया. वहीं 6 बच्चों के परिजनों बिना सूचना दिये घर ले गये. वर्तमान में 2 बच्चे पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती है. यह आंकड़ा दर्शाता है कि जिले के आंगनबाड़ी केंद्र, आरबीएसके की टीम व ओपीडी में पाए गए कुपोषित बच्चों को एनआरसी में नहीं भेजा जा रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ विजय प्रकाश ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक एवं बीसीएम को अधिक से अधिक संख्या में आरबीएसके की टीम एवं ओपीडी में चिन्हित कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भेजने का निर्देश दिया है. एसपीओ ने सिविल सर्जन को जिला कार्यक्रम पदाधिकारी आइसीडीएस एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को बाल विकास परियोजना पदाधिकारी से समन्वय स्थापित कर आंगनबाड़ी केंद्रों से कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने का निर्देश दिया है. वीसी के माध्यम से निर्देश दिया गया कि शत प्रतिशत कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाए. ताकि कुपोषित बच्चों को भर्ती कर समुचित इलाज किया जा सके.
10.9 प्रतिशत बच्चों को ही मिलता है पोषण युक्त भोजन
कुपोषण कम उम्र के बच्चों के मौत का सबसे बड़ा कारण है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़े बताते हैं कि जिले में 6 से 23 माह के महज 10.9 फीसदी बच्चों को ही उम्र के हिसाब से पर्याप्त पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध हो पाता है. इसमें शहरी क्षेत्र के 9.2 व ग्रामीण क्षेत्र के 1.7 बच्चे शामिल हैं. इसका कम उम्र में शादी, शिक्षा का अभाव एवं उच्च प्रजनन दर बच्चों के कुपोषित होने की बड़ी वजह है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है