Madhubani News. तीन अक्टूबर से शुरू होगा शारदीय नवरात्र, 12 को होगा समापन

आश्विन माह में मनाई जाने वाली नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहा जाता है. इसकी शुरुआत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 से होगा, इसका समापन शनिवार 12 अक्टूबर को होगा.

By Prabhat Khabar News Desk | September 22, 2024 10:10 PM

Madhubani News. मधुबनी. आश्विन माह में मनाई जाने वाली नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहा जाता है. इसकी शुरुआत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 से होगा, इसका समापन शनिवार 12 अक्टूबर को होगा. नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर गुरुवार को प्रातः 7 बजे से दिन के 2 : 56 बजे तक उत्तम है. इस साल शारदीय नवरात्र में माता का आगमन डोली पर व प्रस्थान चरणायुध मुर्गा पर करेगी. नवरात्र में भक्त माता के नौ रूपों की पूजा करते हैं. श्रद्धालु इस दौरान नौ दिनों तक व्रत भी रखते हैं. माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और उन्नति के मार्ग प्रशस्त होता है. नवरात्र हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, पौराणिक समय से ही नवरात्र का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है. नवरात्र में मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर आती है, यह इस पर निर्भर करता है, कि नवरात्र का शुभारंभ किस दिन से हो रहा है. शास्त्र अनुसार यदि नवरात्र गुरुवार और शुक्रवार को आरंभ होता है तो मां दुर्गा की सवारी डोली और पालकी मानी जाती है. इस बार शारदीय नवरात्र गुरुवार से हो रही है. नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन और विदाई खास वाहन में माना गया है, जिसका अलग-अलग अर्थ बताया गया है. मां दुर्गा के आगमन और विदाई के वाहन से देश-दुनिया, प्रकृति, फसल और मानव जीवन पर पड़ने वाले अच्छे-बुरे प्रभाव का अनुमान लगाया जाता है. इसलिए नवरात्र में मां दुर्गा की सवारी को महत्वपूर्ण माना जाता है. वैसे तो माता रानी का वाहन सिंह है, इसलिए मां दुर्गा को शेरावाली कहा जाता है. लेकिन नवरात्र के दिनों में जब मां दुर्गा पृथ्वी लोक में आती हैं तो दिन के अनुसार उनकी सवारी बदल जाती है. नवरात्र में शास्त्र अनुसार डोली पर माता का आगमन जन हानि कि विशेष प्रवलता मानी गयी है. जबकि विजया दशमी 12 अक्टूवर शनिवार को है. माता चारणायुध (मुर्गा) से प्रस्थान कर रही है. ऐसे में उत्सव के साधनों पर लोक विकल, विनाश की सम्भावना अधिक बढ़ सकती है. इस बार विल्वाभिमंत्रण 9 अक्टूवर बुधवार, नव पत्रिका प्रवेश, निशा पूजा, रात्रि जागरण 10 अक्टूबर को और महाअष्टमी, महा नवमी व्रत व हवन 11 अक्टूबर को मनाई जायेगी. 12 अक्टूबर को विजयादशमी एवं विसर्जन होगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version