समझौता के बाद हड़ताल समाप्त, ड्यूटी पर लौटे एंबुलेंस कर्मी

लंबित मांगों के समर्थन में कार्य बहिष्कार कर रहे एंबुलेंस कर्मियों का सेवा प्रदाता कंपनी के प्रतिनिधि साथ हुई समझौते के बाद बीते गुरुवार की देर शाम दोनों पक्ष की सहमति के बाद हड़ताल समाप्त किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | June 28, 2024 10:40 PM

मधुबनी. लंबित मांगों के समर्थन में कार्य बहिष्कार कर रहे एंबुलेंस कर्मियों का सेवा प्रदाता कंपनी के प्रतिनिधि साथ हुई समझौते के बाद बीते गुरुवार की देर शाम दोनों पक्ष की सहमति के बाद हड़ताल समाप्त किया गया. जिसके बाद सरकारी एंबुलेंस सेवा से वंचित मरीजों को शुक्रवार से एंबुलेंस सेवा उपलब्ध होने लगा. जिससे मरीजों के परिजनों ने राहत की सांस ली है. विदित हो कि दो दिनों से विभिन्न मांगों के समर्थन में एंबुलेंस कर्मियों ने कार्य बहिष्कार कर दिया था. जिससे मरीजों को अस्पताल से घर जाने या आने में निजी एंबुलेंस की सेवा लेनी पड़ रही थी. हड़ताल समाप्त होने के बाद मरीज के परिजनों में हर्ष व्याप्त है. हड़ताल के कारण सबसे अधिक प्रभावित अस्पताल से घर आने जाने वाली गर्भवती व प्रसूताओं सहित रेफरल मरीजों को हुई. 102 एंबुलेंस कर्मियों के कार्य बहिष्कार के कारण निजी एम्बुलेंस वाहन चालकों की चांदी रही. विदित हो कि सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में प्रतिदिन 20 से 25 गर्भवती महिलाओं का प्रसव होता है. इसमें अधिकांश गर्भवती व प्रसूता को 102 एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन हड़ताल के कारण इन मरीजों को निजी एम्बुलेंस सेवा का सहारा लेना पड़ रहा है. विदित हो कि जिले में वर्तमान में 54 एंबुलेंस का परिचालन सदर अस्पताल सहित विभिन्न संस्थानों में किया जा रहा है. जिससे प्रतिदिन लगभग 200 मरीजों को सेवा उपलब्ध करायी जाती है. इसमें गर्भवती व प्रसूता महिला को अस्पताल लाने व ले जाने, गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को हायर सेंटर रेफर करने, 21 दिनों तक नवजात शिशु को बीमारी की अवस्था में अस्पताल लाने व ले जाने, रोड एक्सीडेंटल, कालाजार व अन्य मरीजों की सेवा प्रभावित हुआ है. एंबुलेंस कर्मियों ने कहा कि 2 दिनों में लगभग 400 मरीजों को एंबुलेंस सेवा से वंचित होना पड़ा है. एम्बुलेंस कर्मी ओम प्रकाश साह ने कहा कि सेवा प्रदाता कंपनी के प्रतिनिधि एसीओ राकेश ठाकुर के साथ वार्ता हुई. जिसमें सेवा प्रदाता कंपनी के प्रतिनिधि ने कर्मियों की तीन मांगों को एक सप्ताह में पूरा करने व अन्य मांगों पर विचार कर उसे पूरा करने का आश्वासन दिया गया. इसके बाद हड़ताल समाप्त किया गया.

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