फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 5 से 15 जुलाई तक होगा नाइट ब्लड सर्वे

जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत नाइट ब्लड सर्वे 5 से 15 जुलाई तक किया जाएगा. नाइट ब्लड सर्वे अभियान जिले के बिस्फी, बेनीपट्टी, पंडौल एवं मधुबनी शहरी क्षेत्र में होगा.

By Prabhat Khabar Print | June 30, 2024 9:05 PM

मधुबनी. जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत नाइट ब्लड सर्वे 5 से 15 जुलाई तक किया जाएगा. नाइट ब्लड सर्वे अभियान जिले के बिस्फी, बेनीपट्टी, पंडौल एवं मधुबनी शहरी क्षेत्र में होगा. संबंधित सभी प्रखंडों के लैब टेक्नीशियन को प्रशिक्षित किया गया है. इसके लिए आवश्यक सामग्रियों एवं उपकरणों का उठाव करने का निर्देश दिया गया है. नाइट ब्लड सर्वे के रिपोर्ट के आधार पर जिले के चयनित प्रखंडों में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम का आयोजन 10 अगस्त से किया जाएगा. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डीएस सिंह ने कहा कि वर्तमान में जिले में फाइलेरिया रोगियों की संख्या 1649 है. संभावित मरीजों का पता लगाने के लिहाज से नाइट ब्लड सर्वे बेहद महत्वपूर्ण है. शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं. इसीलिए नाइट ब्लड सर्वे संभावित रोगियों का पता लगाने का उचित माध्यम है. डॉ. सिंह ने कहा है कि चयनित प्रखंडों में दो सत्रों का निर्धारण किया गया है. यहां से तीन -तीन सौ रक्त का नमूना संग्रह किया जाएगा. सर्वे रात 8:30 के बाद शुरू होगा. इसमें 20 वर्ष से अधिक आयु के लोगों का रक्त नमूना लिया जाएगा. दोनों सत्र स्थल में से किसी एक स्थल में माइक्रोफाइलेरिया की दर 1 या 1 से अधिक होगा तो उस प्रखंड में सर्वजन दवा वितरण किया जाएगा. माइक्रोफाइलेरिया की दर एक से कम होने पर एमडीए अभियान नहीं चलाया जाएगा. अभियान के बाद संबंधित प्रखंड में माइक्रोफाइलेरिया का प्रसार है या नहीं, इसकी सत्यता की जांच के लिए प्री-टास्क किया जाएगा. नाइट ब्लड सर्वे एमडीए राउंड से 1 या डेढ़ माह पूर्व व अभियान खत्म होने के 6 माह बाद किया जाता है. एक महीना पूर्व करने का तात्पर्य लोगों में माइक्रोफाइलेरिया का संक्रमण है या नहीं उस जगह का चयन करने एवं 6 माह के बाद एमडीए राउंड का प्रभाव कितना हुआ यह देखने के लिए किया जाता है.

सामूहिक भागीदारी से जड़ से खत्म होगी फाइलेरिया

डॉ. डीएस सिंह ने कहा कि सामूहिक प्रयास से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है. इसके लिये लोगों को जांच के लिये आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि फाइलेरिया एक असाध्य बीमारी है. फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को रोग का पता वर्षों बाद चलता है. तब तक बीमारी लाइलाज हो चुका होता है. शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं. इसलिए नाइट ब्लड सर्वे संभावित रोगियों का पता लगाने का बेहतर जरिया है.

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग की रणनीति तय

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. वहीं राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2027 तक उन्मूलन करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए प्रतिवर्ष सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम के तहत 2 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को दवा खिलाई जाती है. आमलोगों की जागरूकता से ही अभियान को सफल बनाया जा सकता और समाज को फाइलेरिया से मुक्त किया जा सकता है.

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