जेठ की दोपहरी को मात दे रहा सावन की धूप
सावन की गरमी और धूप ने जेठ की दोपहरी को भी मात दे दिया है. जेठ की दोपहर का धूप सबसे कड़ा व उमस भरा माना जाता है.
मधुबनी. सावन की गरमी और धूप ने जेठ की दोपहरी को भी मात दे दिया है. जेठ की दोपहर का धूप सबसे कड़ा व उमस भरा माना जाता है. पर इस सावन बारिश की बूंद की जगह आसमान से मानों आग के गोले गिर रहे हैं. मौसम विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो मई, जून के तापमान से जुलाई का तापमान अधिक हो रहा है. मौसम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 27 मई को अधिकतम तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस था, जो सामान्य से मात्र 1 डिग्री सेल्सियस अधिक था. जबकि जुलाई में 36.2 जो सामान्य से 1.7 डिग्री सेल्सियस अधिक था. वहीं 27 जुलाई को यह तापमान 36.2 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से करीब 3 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकार्ड किया गया. इसी प्रकार 28 मई का तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस, 28 जून का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था. वहीं 28 जुलाइ का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है. तेज धूप व उमस भरी गरमी से लोगों को राहत नहीं मिल रही. दिन रात लोग बेचैन हैं.
बारिश की आस में किसान मायूस
इधर, मौसम की बेरुखी ने किसानों के चेहरे को मुरझा दिया है. किसान कम बारिश होने से मायूस हैं. कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान समय तक मात्र 66 फीसदी ही धान की रोपनी हो सकी है. जबकि उन्नत व बेहतर खेती के लिये (अगात खेती) आदर्श समय 31 जुलाई माना जाता है. यानि कि अब मात्र दो दिन में ही 34 फीसदी खेती करना एक चुनौती से कम नहीं है. जिला कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस साल खरीफ में 1 लाख 61 हजार 290 हेक्टयर में धान रोपनी का लक्ष्य रखा गया था. जिसके विरुद्ध 28 जुलाई तक करीब 1 लाख 6 हजार हेक्टेयर में धान की खेती हो सकी है.
सामान्य से 48 फीसदी कम हुइ् बारिश
समय से खेती नही हो पाने का मुख्य कारण सामान्य से कम बारिश होना है. कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 1 जून से 28 जुलाई तक 504 एमएम बारिश की आवश्यकता था. जिसके विरुद्ध मात्र 260 एमएम बारिश ही हुई है.
किसानों को मिलेगा डीजल अनुदान
किसान विपरीत परिस्थिति में भी समय से खेती कर सकें, इसके लिये सरकार ने सार्थक पहल किया है. किसानों को खरीफ में खेती के लिये अधिकतम आठ एकड़ में सिंचाई के लिये अनुदान देय है. इस योजना के तहत प्रति एकड़ 750 रुपये दिया जाता है. जिसमें किसान दो सिंचाई बिचड़ा एवं तीन सिंचाई धान में कर सकेंगे. अब तक मात्र तीन किसानों ने ही आवेदन किया है.
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