पद्मश्री गोदावरी दत्त का पीपल के पत्ते पर आकृति उकेर दी श्रद्धांजलि
अंतर्राष्ट्रीय पटल पर मधुबनी पेंटिंग को देश-विदेश में पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली 93 वर्षीय पद्मश्री गोदावरी दत्त के निधन से देशभर में शोक को लहर है.
मधुबनी. अंतर्राष्ट्रीय पटल पर मधुबनी पेंटिंग को देश-विदेश में पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली 93 वर्षीय पद्मश्री गोदावरी दत्त के निधन से देशभर में शोक को लहर है. वहीं इस खबर की जानकारी सोशल मीडिया पर मिलते ही भारत के चर्चित अंतर्राष्ट्रीय सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार भावुक हो गए. देश के ऐसे महान कलाकार को अपनी अनूठी कलाकृति (लिफ आर्ट) से चित्र बनाकर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी है. मंगलवार को बिहार के चंपारण निवासी सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने 5 घंटे के कठिन मेहनत के बाद दुनियां के सबसे छोटी 5 सेंटीमीटर वाली पीपल के हरे पत्ते पर मिथिला पेंटिंग के गुरु कहे जाने वाले पद्मश्री गोदावरी दत्त की आकृति बनाकर शोक संवेदना प्रकट किया है. सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने पद्मश्री गोदावरी दत्त के बारे बताया कि उन्होंने मधुबनी पेंटिंग कला को फर्श और दीवारों से बनाकर देश और विदेशों में पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई है. इनकी पेंटिंग जापान के मिथिला म्यूजियम में भी प्रदर्शित की गई है. वह अक्सर कहती थी कि आज मैं जो कुछ भी हूं वह इस कला के बदौलत ही हूं. मधुबनी पेंटिंग कला का ही प्रभाव है. जिसने मुझे बिखरने से बचा लिया. काफी वृद्ध होने के बावजूद वह मधुबनी पेंटिंग बनाती रही. विदित हो कि पद्मश्री गोदावरी दत्त ने लगभग 50 हजार से अधिक लोगों को मधुबनी पेंटिंग सिखाया. उनकी कला से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी काफी प्रभावित हुई थी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है