Madhubani News. मधुबनी. निगम प्रशासन ने शहर को ओडीएफ प्लस क्षेत्र घोषित कर दिया है. अब इसे अमलीजामा पहनाने के लिये एक नया फरमान भी जारी कर दिया है. जिसके तहत यदि खुले में कोई व्यक्ति शौच या पेशाब करते पकड़ा जाता है तो उसे जुर्माना देना होगा. जुर्माना की राशि भी तय है. निगम प्रशासन की इस फरमान के बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया शुरु कर दिया है. जिससे प्रशासन की किरकिरी हो रही है. या यूं कहें कि यह फरमान एक प्रकार से हास्यास्पद लग रहा है. दरअसल निगम प्रशासन ने खुले में शौच नहीं करने की जो चेतावनी दिया है उसके लिये पूरी तरह से तैयारी ही नहीं है. आंकड़े बता रहे हैं कि निगम क्षेत्र के पुराने 30 वार्डों में ही करीब 4918 लाभुकों को शौचालय निर्माण के लिये अनुदान का दूसरा किस्त नहीं मिल सका है. यह आंकड़ा महज पुराने क्षेत्र का है. इससे खराब स्थिति विस्तारित क्षेत्र का है. तैयारी अधूरी आधी अधूरी तैयारी के बीच नगर निगम ने 45 वार्डों को ओडीएफ प्लस क्षेत्र घोषित किया है. नगर निगम ने सभी 45 वार्डों को खुले में शौच-मूत्र से पूर्णतः मुक्त घोषित कर दिया है. पर शहर के मुख्य बाजार सहित अन्य स्थानों पर शौचालयों व यूरिनल की कमी लोगों को खल रही है. मजबूरी में लोग खुले में शौच करने को विवश हो जाते है. शहर में सार्वजनिक शौचालय वह मूत्रालय की घोर कमी है. देखरेख के अभाव में यह गंदगी से अटे पड़े हैं, जिससे दुर्गंध निकलती रहती है. शहर में कई स्थानों पर यूरिनल तो है, लेकिन सफाई के अभाव में लोग वहां है. मूत्र त्याग नहीं कर पा रहे हैं. नगर निगम की ओर से सार्वजनिक स्थानों पर खुले में शौच करने व मूत्र त्यागने पर जुर्माना लगाने का आदेश जारी किया है. अब शहरी क्षेत्र में खुले में शौच करने वाले को अब सावधान रहना होगा. क्योंकि अगर आप जहां-तहां खुले में शौच करते या मूत्र त्याग करते पकड़े जाते हैं, तो निगम प्रशासन आपका चालान काटेगा. खुले में शौच करते पाए जाने पर 500 रुपये तथा मूत्र त्याग करने पर 100 रुपये जुर्माना तय कर दी गयी है. लेकिन शहरी क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय और यूरिनल की स्थिति बदहाल है. 4918 को नहीं मिली दूसरी किस्त की राशि नगर निगम क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत हर घर शौचालय निर्माण का करीब चार साल से लाभुकों के दूसरे किस्त अनुदान भुगतान लंबित है. वहीं शौचालय निर्माण के लिए नए लाभुक का चयन कार्य ठप है. बता दें कि साल 2018 में तत्कालीन नगर परिषद वार्ड एक से 30 में 10,556 लोगों के घर शौचालय निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया. जिसमें कुल 8074 लाभुको का चयन किया गया था. चयनित प्रति लाभुकों को प्रथम किस्त की राशि 7500 रुपये उनके बैंक खाता में भुगतान किया गया. वहीं 3156 लाभुकों को दूसरे किस्त की राशि 4500 का भुगतान किया गया है. शेष 4918 लाभुकों को दूसरे किस्त राशि का भुगतान नहीं हो सका है. इन 4918 लाभुकों के अनुदान दूसरे किस्त रूप में दो करोड़ 50 लाख रुपये की जरत है. निगम कार्यालय का लगा रहे चक्कर साल 2018 में तत्कालीन नगर परिषद क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया था. इसका प्रतिवर्ष नवीकरण किया जाना था. पर छह वर्षों से नवीकरण नहीं होने से शहर को खुले में शौच से मुक्त के दावे पर सवाल खड़े हो गए हैं. वहीं, शहर में सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय का निर्माण पर ग्रहण लगा रहा. शौचालय विहीन लोगों के लिए सामुदायिक शौचालय की कमी झेलना पड़ रहा है. गठित समिति ने नहीं सौंपा प्रतिवेदन शहर के सार्वजनिक स्थलों पर पुरुषों के लिए शौचालय, बाथरुम निर्माण के लिए नगर निगम द्वार छह माह पूर्व एक समिति का गठन किया गया था. समिति को शहर में सार्वजनिक शौचालय निर्माण के लिए स्थल चयनित कर निगम को रिपोर्ट सौंपना था. रिपोर्ट के आधार पर सार्वजनिक शौचालय, बाथरुम निर्माण कार्य शुरू किया जाना था. समिति में उपमेयर अमानुमान खान, पार्षद आशीष कुमार झा, कैलाश सहनी, मो. जमील अंसारी व अरुण कुमार शामिल किए गए थे. लेकिन अब तक समिति द्वारा प्रतिवेदन समर्पित नहीं किया गया है. क्या कहते हैं अधिकारी नगर आयुक्त अनिल चौधरी ने कहा कि शौचालय अनुदान भुगतान के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग से राशि की मांग की गई है. राशि आवंटित होने के साथ ही लाभुकों के बैंक खाता में भेजने की प्रकिया शुरु की जाएगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है