Madhubani News. मधुबनी. स्वच्छ निर्मल भारत योजना के तहत अब शहरों की तर्ज पर गांव में कचरा प्रबंधन होगा. ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन क्रियान्वित किया जा रहा है. इसके लिए जिले के 384 ग्राम पंचायत में कचरा अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई बनेगा. वहीं 382 ग्राम पंचायत में इस कार्य के लिए एन ओसी भी मिल गया है. इनमें से 221 ग्राम पंचायत में कचरा अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई बनकर तैयार हो चुका है. अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई के बन जाने से पंचायत के सभी वार्डों से एकत्रित जैविक कचरा को अलग कर जैविक खाद का निर्माण कराया जाएगा. इससे प्राप्त राजस्व से पंचायत में स्वच्छता संबंधी कार्यों पर राशि खर्च की जाएगी. हर घर से उठाव हो रहा कचरा मुख्यमंत्री सात निश्चित टू के तहत लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान अंतर्गत डोर टू डोर कचरा उठाव को लेकर अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई का निर्माण कराया जा रहा है. वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट के साथ ग्रामीणों को एकल प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करने को जागरूक भी किया जा रहा है. जिससे निर्मित वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट का उद्देश्य पंचायत में गांव को कचरा मुक्त कर स्वच्छ बनाने का सपना साकार हो सके. जमीन के पेंच में फंसा वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण चयनित ग्राम पंचायतों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन को यूनिट निर्माण के लिए एनओसी तो मिल गया. लेकिन 44 ग्राम पंचायत ऐसे हैं जहां जमीन का बंदोबस्त नहीं हो सका है. इससे स्वच्छ गांव समृद्ध गांव का नारा का बल कागजी खानापूरी तक ही सिमट कर रह गया है. डब्ल्यूपीयू निर्माण के लिए चयनित ग्राम पंचायतों में तीन हजार वर्ग फीट जमीन की जरूरत है. डब्ल्यूपीयू के माध्यम से होता है कचरे का प्रोसेसिंग पंचायत में बन रहे डब्ल्यूपीयू के माध्यम से सभी वार्डों से कचरा संग्रह कर उसे गीला और सूखा के रूप में अलग करना है. इसमें भी प्लास्टिक को अलग करना है. जिसे प्रोसेसिंग यूनिट भेजा जाएगा. वहीं गीला कचरा का कंपोस्ट का निर्माण होगा. इसे हर हाल में ससमय कार्य का निष्पादन करना है. एनओसी प्राप्त सभी पंचायत में कार्य शुरू करा दिया गया है. लेकिन कुछ पंचायत में एनओसी के बाद भी जमीन मिलने में दिक्कत आ रही है.
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