मधुबनी/घोघरडीहा: नगर पंचायत घोघरडीहा वार्ड नं. 3 डेवढ़ निवासी हरेकृष्ण कुंवर कभी बारह बीघा जमीन के मालिक थे. घर में अनाज की कोई कमी नहीं होती थी. साल भर अपने खर्च, सगे संबंधी के साथ लेन देन के बाद भी साल भर में उतना अनाज बेच लेते थे, जिससे अच्छी खासी आमदनी हो जाती थी. पर बीते करीब 25 साल में परिस्थिति इस कदर बदली कि खेत तो बच गया पर अब इन खेतों से अनाज नहीं उपजते. इसी प्रकार ब्रह्मपुरा निवासी पूर्व मुखिया बेचन कामत के पुत्र राम नारायण कामत बताते हैं कि उनके पास चार बीघा जमीन था. सालों भर खेती में लगे रहते थे. पर अब तो बाजार से चावल गेहूं खरीद कर जीवन यापन करते हैं. यह किसी एक हरेकृष्ण कुंवर या बेचन कामत की बात नहीं है. घोघरडीहा नगर पंचायत के पांच गांव के किसानों की यही समस्या है. दरअसल घोघरडीहा के किसनीपट्टी रेलवे लाइन के निकट जलनिकासी अवरुद्ध होने के बाद खेतों में जल जमाव शुरु हो गया. जल जमाव से खेती बंद हो गयी और धान गेहूं की जगह जलकुंभी ने ले लिया. यह समस्या कम होने के बजाय धीरे धीरे इस कदर फैलता चला गया कि आज आस पास के पांच गांव के करीब पंद्रह सौ एकड़ जमीन में धान गेहूं की जगह जलकुंभी ही उपजती है. किसी किसान का पांच बीघा तो किसी किसान का बीस बीघा जमीन इस में समा गया है. दूर दूर तक केवल जलकुंभी ही जलकुंभी खेतों में नजर आ रहे.
किसनीपट्टी के जलकुंभी का इस्लामपुर तक पहुंच
घोघरीडीहा नगर पंचायत में जलजमाव की समस्या नयी नहीं है. बीते करीब तीन दशक में जल जमाव यहां के लोगों के लिये नासूर तो चुनावी मुद्दा भी बना है. इसके निदान के वादे हर चुनाव में होते हैं, पर आज तक निदान की पहल नहीं हो सकी. स्थानीय लोग बताते हैं कि साल 1995-96 में किसनीपट्टी रेलवे किनारे से होकर चिकना, पिरोजगढ़ होते हुए बिहुल नदी में किसनीपट्टी के लो लैंड जमीन का पानी बहाव हो जाता था. पर जिस जगह से जल निकासी होता था वह संभवत: किसी निजी व्यक्ति का जमीन था और वहां पर एक घर बन गया. जिसके बाद से परेशानी शुरु हो गयी. किसनीपट्टी का जल बहाव बंद होने के बाद इसमें जलकुंभी निकल आया. इस जलकुंभी का फैलाव धीरे धीरे किसनीपट्टी से घोघरडीहा, घोघरडीहा से देवढ, फिर देवढ से आगे ब्रहमपुरा और अब ब्रह्मपुरा से इस्लामपुर गांव तक पहुंच गया है.
पंद्रह सौ एकड़ जमीन बेकार
इन पांच गांव के करीब पंद्रह सौ से दो हजार एकड़ जमीन इस जल जमाव के चपेट में है. इसमें अब कुछ भी उपज नहीं होती. दूर दूर तक ये जमीन हरा ही नजर आता है. पूरे जमीन में केवल जलकुंभी ही नजर आता है. जलकुंभी भी इस प्रकार है कि न तो मखाना हो पा रहा है न मछली पालन. सालों भर इस जमीन में जल जमाव ही रहता है.
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