30 साल में पांच गांव के दो हजार एकड़ जमीन में फैल रहा जलकुंभी
घोघरडीहा के किसनीपट्टी रेलवे लाइन के निकट जलनिकासी अवरुद्ध होने के बाद खेतों में जल जमाव शुरु हो गया. जल जमाव से खेती बंद हो गयी और धान गेहूं की जगह जलकुंभी ने ले लिया.
घोघरीडीहा नगर पंचायत में जलजमाव की समस्या नयी नहीं है. बीते करीब तीन दशक में जल जमाव यहां के लोगों के लिये नासूर तो चुनावी मुद्दा भी बना है. इसके निदान के वादे हर चुनाव में होते हैं, पर आज तक निदान की पहल नहीं हो सकी. स्थानीय लोग बताते हैं कि साल 1995-96 में किसनीपट्टी रेलवे किनारे से होकर चिकना, पिरोजगढ़ होते हुए बिहुल नदी में किसनीपट्टी के लो लैंड जमीन का पानी बहाव हो जाता था. पर जिस जगह से जल निकासी होता था वह संभवत: किसी निजी व्यक्ति का जमीन था और वहां पर एक घर बन गया. जिसके बाद से परेशानी शुरु हो गयी. किसनीपट्टी का जल बहाव बंद होने के बाद इसमें जलकुंभी निकल आया. इस जलकुंभी का फैलाव धीरे धीरे किसनीपट्टी से घोघरडीहा, घोघरडीहा से देवढ, फिर देवढ से आगे ब्रहमपुरा और अब ब्रह्मपुरा से इस्लामपुर गांव तक पहुंच गया है.
इन पांच गांव के करीब पंद्रह सौ से दो हजार एकड़ जमीन इस जल जमाव के चपेट में है. इसमें अब कुछ भी उपज नहीं होती. दूर दूर तक ये जमीन हरा ही नजर आता है. पूरे जमीन में केवल जलकुंभी ही नजर आता है. जलकुंभी भी इस प्रकार है कि न तो मखाना हो पा रहा है न मछली पालन. सालों भर इस जमीन में जल जमाव ही रहता है.
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