घोघरडीहा.
प्रखंड क्षेत्र के चिकना हॉल्ट के समीप जामा मस्जिद में शब-ए-बरात की रात मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पूरी रात नमाज अदा कर इबादत की. मौके पर मौलाना मोतीउर रहमान कासमी व मौलाना अबु शहमा की अगुवाई में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नमाज अदा की. बताया जाता है कि शब-ए-बरात इस्लाम धर्म में इबादत और मगफिरत यानी क्षमा की रात मानी जाती है. शब-ए-बराम की रात मुस्लिम समुदाय के लोग पूरी रात जागकर इबादत कर दुआएं मांगी. अपने गुनाहों को तौबा की. इस अवसर पर मो.सज्जाद, मो.जहीर, मो.अब्बास, मो.परवेज, फारूक मो. सकूर,अब्दुर रज्जाक, मो.जमील अख्तर, मो रफीक, मो.सुल्तान भारती, मो.इसहाक, मो. अजीज, मो हफीज, मो.दाऊद ने सामूहिक दुआ मांगी.मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शब-ए-बरात का पर्व मनाया
मधुबनी.
जिला में शब-ए-बरात का पर्व मनाया गया. अल्पसंख्यक समुदाय के लोग शब-ए-बरात की पूरी रात अल्लाह की इबादत की. मान्यता है कि अल्लाह शब-ए-बरात की रात अल्लाह की इबादत करने से नर्क यानी यातनाओं से मुक्त हो जाता है. शब-ए- बरात के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग कब्रिस्तान जाकर अपने मृत पितरों को फूल चढ़ाकर एवं अगरबत्ती जलाकर अल्लाह से प्रार्थना करते है. रात भर मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद और घरों में इबादत करते हैं. मौलाना अबरार अहमद रिजवी ने बताया कि कब्रिस्तान में अपने पूर्वजों की कब्र पर फातिहा पढ़ा जाता है. मगफिरत के लिए दुआ मांगते है. उन्होंने कहा कि हदीस में कहा गया है कि अल्लाह इस रात अपनी रहमत के दरवाजे खोल देता है. मगरिब की अजान में सूरज उगने तक अपने बंदों पर खास रहमत की नजर रखता है. मौके पर मस्जिदों को रंग बिरंगे झालर बालों से सजाया गया.शब-ए-बरात में गुनाहों से की जाती है तौबा
कलुआही.
प्रखंड क्षेत्र की मलमल पंचायत में मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घरों व मस्जिदों में शब-ए-बरात पर नमाज अदा की. शब-ए-बरात को इबादत की रात कहा जाता है.इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शब-ए-बरात शाबान महीने की 15 वीं तारीख की रात को मनायी जाती है. यह दीन-ए-इस्लाम का आठवां महीना होता है. इसे मुबारक महीना माना जाता है. कहा जाता है कि जो शब-ए-बरात की पूरी रात इबादत करता है, उनके सारे गुनाह माफ हो जाते हैं. शब-ए-बरात के मौके पर मस्जिद व कब्रिस्तानों को खास तरीके से सजाया गया था. मुस्लिम समुदाय के लोग कब्रिस्तान जाकर अपने पूर्वजों की कब्र पर सुरह फतिहा पढ़ कर मगफिरत की दुआएं मांगी. पहली आशूरा की रात, दूसरी शब-ए-मेराज, तीसरी शब-ए-बरात और चौथी शब-ए-कद्र की रात होती है. घरों में लजीज पकवान बिरयानी, कोरमा, हलवा आदि बनाया और इबादत के बाद गरीबों में बांटा गया. शब का अर्थ है रात और बरात यानी बरी होना होता है. सच्चे दिल से माफी मांगने और दुआ करने वाले लोगों के लिए अल्लाह जन्नत का दरवाजा खोल देते हैं.
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