मधुबनी. चैत्र नवरात्र के आठवें दिन यानी अष्टमी तिथि को दुर्गा मंदिर एवं पूजा पंडाल में मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की. इस दौरान दुर्गा मंदिरों व पूजा पंडालों में महिला श्रद्धालुओं की भीड़ खोईंछा भरने के लिए उमड़ पड़ी. पूजा पंडालों व मंदिर परिसर में लोगों का उत्साह चरम पर था. महिला श्रद्धालु खोईंछा भरकर सुख व समृद्धि की कामना की. वहीं अष्टमी तिथि को कन्या पूजन करने वाले भक्तों ने दुर्गा पूजा स्थान और अपने-अपने घर में भी कुंवारी कन्याओं की पूजन किया. अष्टमी तिथि होने की वजह से मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई. विदित हो कि माता दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा के साथ कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. कुंवारी कन्याओं को विदा करते समय विभिन्न प्रकार के उपहार भी भेंट किये गये. दुर्गाष्टमी पर शहर के सभी मंदिरों में धार्मिक कार्यक्रम हुए. बता दें कि चैत्र नवरात्र के अष्टमी तिथि को मां के गौर वर्ण की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से की जाती है, और उनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है. सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली मां के सभी वस्त्राभूषण श्वेत रंग के है. चार भुजाधारिणी मां का वाहन वृषभ है.
आज होगी मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना
कुंवारी कन्या पूजन की यह है विधि
कन्या पूजन को नौ कन्याएं और एक लड़का का होना जरूरी है. नौ कन्या को मां का स्वरूप और लड़का भैरव का स्वरूप मानकर पूजा करें. नौ कन्या नहीं मिलने पर जितनी मिल सके पूजन करें. बांकी के हिस्से का भोजन गाय को खिला देना चाहिए. सबसे पहले कन्या और लड़के का पैर धोना चाहिए. सभी को तिलक लगायें, इसके बाद आरती करें. फिर कन्या और भैरव को भोजन खिलाना चाहिए. भोजन खिलाने से पहले मंदिर में मां को भोग ज़रूर लगाये. कन्या के भोजन करने के बाद प्रसाद में फल और दक्षिणा जरूर दें. सभी कन्याएं और भैरव के चरण स्पर्श भी करें. फिर कन्या और भैरव को सम्मानपूर्वक विदा करें. ऐसा माना जाता है कि कन्या के रूप में मां ही आती है.