गया: मगध मेडिकल अस्पताल के सर्जरी वार्ड में आयुष्मान भारत योजना के भर्ती मरीज को खुद के पैसे से बाहर के प्राइवेट अस्पताल में जाकर एमआरआइ करानी पड़ी है. इसमें उसे 6000 रुपये का खर्च आया है. मामला उजागर होते ही अस्पताल में योजना के नोडल अधिकारी व जिला समन्वयक कार्यालय हरकत में आया है. अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले बाराचट्टी काहुदाग के रहनेवाले रामबली यादव किडनी व आंत में गड़बड़ी की शिकायत लेकर यहां ओपीडी में इलाज कराने पहुंचा था. वहां से डॉक्टर ने उसे ऑपरेशन के लिए भर्ती होने की बात कही. वह यहां भर्ती हो गया. आयुष्मान के आरोग्य मित्र पहुंच कर उसके इलाज से पहले रजिस्ट्रेशन भी कर लिया. इसके बाद वह पूरी तौर से निश्चिंत हो गया कि उसका इलाज अब योजना के तहत मुफ्त होगा. बाहर से दवा या जांच का पैसा नहीं लगेगा. सर्जरी के डॉक्टर ने ऑपरेशन से पहले उसे बाहर से एमआरआइ कराने को कहा.
मरीज ने बताया कि डॉक्टर के कहने पर वह बाहर से 6000 रुपये खर्च कर वह एमआरआइ कराया. बिल अस्पताल में देने पर कहा गया कि उसका पैकेज ही नहीं बुक हुआ है. उसकी हालत ऐसी है कि एक परिजन से वह कर्ज लेकर एमआरआइ करवाया है. परिजन पैसा मांग रहे हैं. अस्पताल से अब तक पैसा मिलने का आश्वासन ही दिया जा रहा है.
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आयुष्मान योजना के लाभुकों को अस्पताल में भर्ती व योजना के तहत रजिस्ट्रेशन होने के बाद खुद खर्च नहीं करना है. उसके लिए सरकार की ओर से योजना के तहत हर बीमारी का राशि तय कर दिया गया है. बाराचट्टी के इस मरीज का रजिस्ट्रेशन करने के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं की गयी. उनके पास किसी तरह की समस्या लेकर आरोग्य मित्र नहीं पहुंचा. इस कारण थोड़ी दिक्कत आयी है. मरीज को पैसा दिलाने के लिए कोशिश की जा रही है.
डॉ पीके अग्रवाल, उपाधीक्षक सह योजना के नोडल अधिकारी, मगध मेडिकल अस्पताल