पटना. मगध विश्वविद्यालय, बोध गया के कुलपति राजेंद्र प्रसाद उर्फ डॉ राजेंद्र प्रसाद को पटना हाइकोर्ट से कोई राहत नहीं मिला. कोर्ट ने उन्हें आत्मसमर्पण कर जमानत लेने का निर्देश दिया है. हाइकोर्ट ने संबंधित निचली अदालत को कहा कि आवेदक के द्वारा नियमित जमानत के लिए आत्म समर्पण किया जाता है, तो इस मामले की सुनवाई और उस पर आदेश उस मामले में आये साक्ष्यों के आधार पर किया जाये.
न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की एकलपीठ ने कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा दायर अग्रिम जमानत के आवेदन पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. याचिकाकर्ता ने अपने विरुद्ध राज्य की विशेष निगरानी इकाई में दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने की मांग भी कोर्ट से की थी. आवेदक की ओर से भ्रष्टाचार निरोधक कानून में जोड़े गये नये धारा 17ए का हवाला देते हुए कहा गया कि बगैर पूर्व अनुमति के वीसी को पद से हटाने के लिए ऐसा किया गया है.
कोर्ट को बताया गया कि विशेष निगरानी इकाई में प्राथमिकी दर्ज कर आरोप लगाया गया है कि कई लोगों की मदद से सरकारी खजाने का करीब 20 करोड़ रुपये की वित्तिय अनियमितता की गयी है. आरोप यह भी हैं कि इस पैसे से याचिकाकर्ता ने कई जगह चल और अचल संपत्ति की खरीद की हैं. कोर्ट को बताया गया कि कुलाधिपति के प्रधान सचिव ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लाख कर दर्ज करायी गयी इस प्राथमिकी पर आपत्ति जतायी थी.
इससे पूर्व पटना हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार मामले में मगध विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर राजेन्द्र प्रसाद उर्फ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की गिरफ्तारी पर 9 मई, 2022 तक रोक लगा दी थी. जस्टिस आशुतोष कुमार की एकलपीठ ने डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “मामलों की सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. कोर्ट ने आदेश दिया कि उक्त मामले में काउंटर हलफनामा अगली तिथि तक सकारात्मक रूप से दाखिल किया जाए. याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन सप्ताह की अवधि के लिए अंतरिम संरक्षण दिया गया था, जो 26 अप्रैल, 2022 को समाप्त हो गया है.