बिहार: जाल में मछली के बदले फंस रहे अजगर और मगरमच्छ, पेड़ पर लटके मिल रहे विशालकाय सांप…

बिहार में इन दिनों सांप और मगरमच्छ लगातार मिल रहे हैं. एक बार फिर से मगरमच्छ मिला है. सिवान में एक मगरमच्छ मछुआरे के जाल में आकर फंस गया. लोग उस मगरमच्छ को देखने पहुंच गए. वहीं सात फुट लंबा नेपाली पहाड़ी सांप देखकर लोग दंग रह गए.

By ThakurShaktilochan Sandilya | September 30, 2023 2:23 PM

बिहार में इन दिनों सांप और मगरमच्छ इन दिनों लगातार मिल रहे हैं. मौसम का मिजाज बदला है और अधिकतर जिलों में बारिश हो रही है. इस बीच कई जगह मगरमच्छ अब विचरण करने लगे हैं तो सांप आए दिन मिल रहे हैं. यूं तो सामान्य तौर पर देखें तो सांप देखकर लोग बहुत ज्यादा हैरान नहीं होते लेकिन इन दिनों जब कहीं 7 फीट तो कहीं 12 फीट वाला सांप मिलने से लोग हैरान हैं. सिवान में मछुआरों ने मछली पकड़ने के लिए जाल लगाया तो मगरमच्छ उसके आ फंसा. इससे पहले कैमूर में मछुआरों के जाल में एक अजगर सांप फंसा था. वहीं एक नेपाली पहाड़ी सांप का भी रेस्क्यू किया गया.


सिवान में मछुआरे की जाल में फंसा मगरमच्छ

सिवान में जब मछुआरों ने मछली पकड़ने के लिए जाल फेंका तो उसमें हुई हलचल की हकीकत देखकर वो दंग रह गए. दरअसल, मछली के लिए डाले गए उस जाल में एक विशालकाय मगरमच्छ फंसा था. यह जानने के बाद लोगों की भीड़ मौके पर जमा हो गयी. मछुआरों ने हिम्मत दिखाया और मगरमच्छ को उसी जाल से बांध दिया. इसकी सूचना वन विभाग को दी गयी जिसके बाद वनकर्मी आए और मगरमच्छ को कब्जे में लिया. जिले के मैरवा थाना के फरछुआ केवाड़ा स्थित गंडक नहर की ये घटना है. शुक्रवार की ये घटना बतायी जा रही है.

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सात फुट लंबा नेपाली पहाड़ी सांप निकला

वहीं सांप भी इन दिनों बिलबिला रहे हैं. पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन प्रमंडल दो वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र अंतर्गत हवाई अड्डा के समीप शुक्रवार की सुबह एक नेपाली पहाड़ी सांप के निकलने से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त हो गया. सांप लगभग सात फुट लंबा था. ग्रामीणों की सूचना पर पहुंचे वन कर्मियों ने सांप को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया और उसे जटाशंकर वन क्षेत्र में छोड़ दिया. ज्ञात हो कि बीते 10 दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी के कारण रिहायशी क्षेत्र में वन्यजीवों का विचरण बढ़ गया है. इस बाबत पूछे जाने पर वनपाल नवीन कुमार ने बताया कि यह नेपाली पहाड़ी सांप के रूप में जाना जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग उसे पातार सांप के नाम से भी जानते हैं. यह सांप विषैला होता है. ग्रामीणों से अपील है कि सतर्क और सजग रहे.

कॉलोनी में निकला कस्तूरी बिलाव

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन प्रमंडल दो वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र से सटे रिहायशी क्षेत्र में पड़ रही भीषण गर्मी के कारण वन्यजीवों का विचरण तेज हो गया है. इसी क्रम में गुरुवार की देर शाम वर्मा कॉलोनी पिपरा कुट्टी आंगनबाड़ी केंद्र के नजदीक एक कस्तूरी बिलाव (सीवेट) जिसे गंधमार्जार या गंधबिलाव भी कहा जाता है, को ग्रामीणों की सूचना पर वन कर्मियों ने सुरक्षित रेस्क्यू कर जटाशंकर वन क्षेत्र में छोड़ दिया. ज्ञात हो कि एशिया और अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मिलने वाला एक छोटा, पतला बिल्ली के आकार से मिलता-जुलता और अधिकतर निशाचरी स्तनधारी प्राणी के प्रकार का होता है. कई जीव वैज्ञानिक द्वारा इन जातियों को सामूहिक रूप से कस्तूरी बिलाव बुलाया जाता है, जो सभी मांसाहारी गण के वाइवेरिडाए कुल की सदस्य हैं. हालांकि वाइवेरिडाए कुल की सभी जातियां कस्तूरी बिलाव नाम से नहीं जानी जाती. कस्तूरी बिलावों में अपनी दुम के नीचे एक गंध ग्रंथि से एक विशेष प्रकार की कस्तूरी गंध उत्पन्न करने की क्षमता होती है. यह आसानी से वृक्षों में चढ़ जाते हैं और आम तौर पर रात्रि में ही बाहर निकलते हैं. इस बाबत पूछे जाने पर वनपाल नवीन कुमार ने भी बताया कि यह सीवेट कैट है. जिसे रेस्क्यू के उपरांत जटाशंकर वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया है.

सुपौल में पेड़ पर लिपटा था अजगर

बता दें कि सुपौल के छातापुर प्रखंड में भी पिछले दिनों एक विशायकाल अजगर दिखा. भीमपुर वार्ड नंबर 12 में एक अजगर नीम के पेड़ पर दिखा था. कौवे लगातार आवाज कर रहे थे तो गांव के लोगों ने नीम के पेड़ की ओर देखा. जहां पेड़ की डाल से एक अजगर लिपटा दिखा था. अजगर को देखने के बाद लोगों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने अजगर का रेस्क्यू किया था और अपने साथ लेकर गए थे.

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