Mahagathbandhan Purnea Rally: बिहार की सियासत अभी गरमायी हुई है. 25 फरवरी को एकबार फिर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आगमन होने जा रहा है. वहीं इसी दिन महागठबंधन पूर्णिया में महारैली कर रही है. इस रैली को आगामी लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी का शंखनाद माना जा रहा है. बिहार की तमाम विपक्षी दलें इस रैली के मंच पर एकजुट होने का संदेश देने की तैयारी में हैं. सीमांचल में अगर प्रतिनिधित्व के हिसाब से आंकड़ों को देखें तो वर्तमान में महागठबंधन आगे है. लेकिन पीछे परिणाम की ओर झांके तो एनडीए के पक्ष में अधिक सीटें रही. यहां अल्पसंख्यों की तादाद बेहद अधिक है. लेकिन फिर भी महागठबंधन अपनी जमीन यहां खोजने की जद्दोजहद में है.
सीमांचल की राजनीति हमेसा बड़ा महत्व रखती आई है. एक समय था जब सीमांचल में धाक जमाकर ही राजद सत्ता में मजबूती से रही. लालू-राबड़ी शासनकाल में सीमांचल से मिलने वाला जनाधार बड़ा फैक्टर रहा है. लेकिन धीरे-धीरे यहां राजद की पकड़ भी ढ़ीली होती गयी. मुस्लिम और यादव वोटरों ने कभी राजद का मजबूती से साथ दिया. लेकिन अब मुस्मिल वोटरों का एक बड़ा हिस्सा ओवैसी की पार्टी के साथ तो भाजपा यहां जाति के बदले हिंदुत्व को फोकस करके छाती रही.
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भाजपा सीमांचल के बहाने राजनीति की ऐसी बिसात बैठाना चाहती है जिससे जातीय गोलबंदी की बजाय तमाम हिन्दुओं का ऐसा ध्रुवीकरण हो जिसकी गूंज पूरे बिहार-बंगाल तक सुनाई पड़े. भाजपा की इस चाल को महागठबंधन नाकाम करना चाहता है. इसकी वजह यह है कि सीमांचल में 40 से 70 फीसदी आबादी अल्पसंख्यकों की है. वहीं अब बिहार के बदले सियासी समीकरण में राजद-जदयू-कांग्रेस-वामदल व अन्य घटकदल मिलकर पिछड़े व अतिपिछड़ों को भी अपनी ओर लाने के प्रयास में रहेगी.
भाजपा यहां किस तरह धुव्रीकरण पर अपनी तैयारी करती रही है उसे पूर्व में हुए सियासी गतिविधियों से समझा जा सकता है. गृह मंत्री अमित शाह जब इससे पहले बिहार आए तो पूर्णिया में उनकी रैली हुई. वहीं इसकी तैयारी के लिए जनता के बीच आए भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह देश और धर्म बचाने की अपील करते दिखे थे. सीमांचल के लोगों को सजग रहने और एकजुट होकर अपना परिचय देने व अस्तित्व बचाने की बात करते लोगों के बीच जाते रहे थे.
Published By: Thakur Shaktilochan