मुजफ्फरपुर. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मुजफ्फरपुर से गहरा जुड़ाव था. वह अपने जीवन काल में तीन बार मुजफ्फरपुर आये थे. यहां ठहरे भी थे. गांधीवादी सफी दाउदी के पौत्र व कृषि वैज्ञानिक अल्तमश दाउदी बताते हैं कि महात्मा गांधी कहते थे कि मुजफ्फरपुर मेरा कर्म स्थल नहीं, यह मेरी ह्रदय स्थली है. तिलक मैदान का वह स्थान, जहां वह ठहरे थे, उसे महात्मा गांधी के ह्रदय स्थली के नाम से आज भी जाना जाता है.
पहली बार महात्मा गांधी का मुजफ्फरपुर आगमन अप्रैल 1917 में बहुचर्चित चंपारण यात्रा के क्रम में हुआ था. वह राजकुमार शुक्ल के आमंत्रण पर चंपारण के उन किसानों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए जा रहे थे, जो नीलहों के अत्याचार से त्रस्त थे. वह कोलकाता से पटना आये. गांधीजी अपने मित्र मजहरूल हक के सुझाव पर उसी दिन मुजफ्फरपुर के लिए रवाना हो गये. उन दिनो आचार्य जेवी कृपलानी मुजफ्फरपुर मे रहते थे. वह मुजफफरपुर के जीबीबी कालेज (वर्तमान में लंगट सिंह कालेज) में प्रोफेसर की नौकरी छोड़ चुके थे. उन्होंने अपने मुजफ्फरपुर आने के संबंध में आचार्य कृपलानी को तार दिया. उनकी ट्रेन देर रात मुजफ्फरपुर पहुंची. आचार्य कृपलानी ने छात्रों को लेकर गाजेबाजे के साथ मुजफ्फरपुर स्टेशन पर गांधी जी का स्वागत किया. मुजफ्फरपुर के स्थानीय जमींदार से कृपलानीजी ने स्टेशन से कॉलेज तक गांधी जी को लाने के लिये बग्घी की व्यवस्था कर रखी थी. छात्रों ने उससे घोड़े को अलग कर दिया और खुद उस बग्घी को खींचते हुए काॅलेज परिसर तक प्रो मलकानी के आवास तक ले गये. गांधी शांति प्रतिष्ठान के पूर्व राष्ट्रीय सचिव सुरेन्द्र कुमार बताते हैं कि कृपलानीजी ने रात में उनको तिरहुत कमिश्नरी की स्थिति से अवगत कराया. दूसरे दिन सबेरे वकीलों का एक छोटा समूह उनसे मिलने आया. रामनवमी बाबू ने गांधीजी से कहा कि आप जो काम करने आये हैं वह कालेज परिसर से नहीं हो सकता है. उन्होंने निवेदन किया कि वे यहां से गया बाबू के यहां रूकने को चलें. गांधीजी ठहरने के लिये ख्याति प्राप्त अधिवक्ता गया बाबू के यहां चले आये. उस समय अंग्रेजी हुकूमत से लोग डरते थे. भय के वातावरण में भी रामनवमी बाबू और गया बाबू के नेतृत्व में वकीलों के छोटे समूह ने गांधीजी को हर संभव सहयोग किया. खबर मिलने पर दूसरे दिन दरभंगा से ब्रजकिशोर बाबू और पटना से डॉ राजेंद्र प्रसाद मुजफ्फरपुर आ गये.
गांधीवादी सफी दाउदी के पौत्र व कृषि वैज्ञानिक अल्तमश दाउदी बताते हैं कि गांधीजी दूसरी बार 7 दिसंबर 1920 को मुजफ्फरपुर पहुंचे थे. उस समय असहयोग आंदोलन चल रहा था. गांधी जी मोतीझील स्थित सफी मंजिल में कई दिनों तक ठहरे भी थे. असहयोग आंदोलन को लेकर सफी मंजिल तिरहुत जोन का मुख्य केंद्र था. अल्तमश दाउदी बताते हैं कि सफी दाउदी मुजफ्फरपुर में कांग्रेस के पहले अध्यक्ष थे. 1920 में महात्मा गांधी उन्हीं के यहां ठहरे थे, जो आज सफी मंजिल के नाम से जाना जाता है. 1920 में गांधी जी आये थे तो चंदवारा उर्दू हाइस्कूल में एक बड़ी सभा को भी संबोधित किये थे.
तीसरी बार महात्मा गांधी 1934 में हुए भीषण भूकंप के तुरंत बाद पीड़ितों की सहायता के लिए आये थे. गांधी शांति प्रतिष्ठान के पूर्व राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र कुमार बताते हैं कि 14 जनवरी, 1934 को आये भीषण भूकंप में जानमाल का काफी नुकसान हुआ था. महात्मा गांधी को यह जानकारी मिली कि मुजफ्फरपुर में राहत वितरण ठीक से नहीं हो पा रहा है तो वे मुजफ्फरपुर पहुंच गये. लोगों के सामूहिक प्रयास से राहत सामग्री की व्यवस्था कर पीड़ित परिवारों के बीच वितरण करवाने के बाद यहां से लौटें.
posted by ashish jha