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वाराणसी में मंदिरों के महाकुंभ 22 जुलाई से, पटना के महावीर मंदिरों को मिला शिरकत करने का न्योता

वाराणसी में मंदिरों का महाकुंभ होने जा रहा है. तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय टेम्पल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो में देश-विदेश के 350 मंदिरों से अधिक को आमंत्रण भेजा गया है. साथ ही 14 विशिष्ट मंदिरों की सूची भी जारी की गई है. जिसमें पटना का महावीर मंदिर भी शामिल है.

पटना के महावीर मंदिर को देश के मंदिरों में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है. इसका पता इस बात से चलता है कि देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी वाराणसी में होने जा रहे मंदिरों के महाकुंभ में शामिल होने के लिए महावीर मंदिर न्यास को भी शामिल किया गया है. वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेन्टर में तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय टेम्पल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो का आयोजन होगा. इसका उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संघचालक मोहन भागवत 22 जुलाई को करेंगे. इस कार्यक्रम में भारत के 350 और दुनिया के दूसरे देशों के 35 मन्दिरों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है.

14 विशिष्ट मंदिरों की सूची भी जारी

कार्यक्रम के लिए आमंत्रण के साथ 14 विशिष्ट मंदिरों की सूची भी जारी की गयी है. इसमें पटना के महावीर मंदिर न्यास को भी शामिल किया गया है. महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल मन्दिरों के बेहतर प्रबन्धन, वित्तीय अनुशासन जैसे विषयों पर अपने तरह के पहले सम्मेलन में भाग लेंगे.

क्या बोले आचार्य किशोर कुणाल

आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि सालाना 11 हजार से शुरुआत कर 10 लाख रुपये प्रतिदिन की आय वाला पटना का महावीर मन्दिर वित्तीय अनुशासन का श्रेष्ठ उदाहरण है. उन्होंने बताया कि समागम में वे महावीर मन्दिर न्यास के वित्तीय अनुशासन और वित्तीय प्रबंधन के अपने अनुभवों को साझा करेंगे. किस प्रकार एक मंदिर की आय से महावीर कैंसर संस्थान समेत पांच बड़े अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं. भर्ती मरीजों को तीनों पहर का भोजन-नाश्ता निःशुल्क दिया जाता है. गरीब मरीजों को इलाज में विशेष छूट दी जाती है.

  • अंतर्राष्ट्रीय मन्दिर समागम के विषय

  • मन्दिर प्रबंधन तंत्र को सुदृढ़ करना

  • मन्दिरों में वित्तीय अनुशासन और दान की राशि का सदुपयोग

  • मन्दिर प्रबंध समिति सदस्यों को सूचना तकनीक की अत्याधुनिक पद्धतियों, तकनीकों आदि से अवगत कराना सहित कई अन्य विषय

  • इन विशिष्ट मन्दिरों को न्योता

  • श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, वाराणसी,

  • श्री महाकाल ज्योतिर्लिंग, उज्जैन,

  • शिर्ड़ी साईं बाबा मन्दिर, शिर्ड़ी,

  • माता वैष्णो देवी मन्दिर, कटरा, जम्मू ,

  • श्री विट्ठल रुक्मिणी मन्दिर, पंढारपुर,

  • श्री जगन्नाथ मन्दिर, पुरी,

  • श्री तिरुमाला तिरुपति बालाजी, तिरुमाला,

  • माँ कंकाल काली मन्दिर, अकोडी, उत्तर प्रदेश,

  • गिरनार दत्तात्रेय मन्दिर, जूनागढ़,

  • काली माता मन्दिर, कोलकाता ,

  • मां कामाख्या शक्तिपीठ, गुवाहाटी,

  • स्वामीनारायण अक्षरधाम मन्दिर, अहमदाबाद,

  • इस्काॅन मन्दिर, मायापुर

  • इस्काॅन मन्दिर, मुंबई

  • इस्काॅन मन्दिर, बंगलोर

  • महावीर मन्दिर, पटना

इन देशों के मंदिरों के प्रतिनिधि भी लेंगे हिस्सा

इस समागम में इन 14 विशिष्ट मंदिरों के अलावा भारत के 350 और भारत के बाहर के देशों में ब्रिटेन, अमेरिका, मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, श्रीलंका, आस्ट्रेलिया, म्यांमार, संयुक्त अरब अमीरात और नेपाल जैसे देशों के मंदिरों के प्रतिनिधि भाग लेंगे.

महावीर मन्दिर में हनुमान जी की दो युग्म प्रतिमाएं एक साथ हैं

देश में अग्रणी हनुमान मन्दिरों में से एक पटना के महावीर मंदिर में हज़ारों भक्त हनुमानजी की आराधना और मन्दिर की यात्रा करने आते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में भक्तों द्वारा मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है. सन् 1948 में पटना उच्च न्यायालय ने इसे सार्वजनिक मन्दिर घोषित किया था. जिसके बाद नए भव्य मन्दिर का निर्माण 1983 से 1985 के बीच आचार्य किशोर कुणाल और भक्तों के योगदान से किया गया था, और वर्तमान में ये देश के विश्व प्रसिद्ध मन्दिरों में से एक है. महावीर मन्दिर में हनुमान जी की दो युग्म प्रतिमाएं एक साथ हैं, पहली परित्राणाय साधूनाम् जिसका अर्थ है अच्छे व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए और दूसरी विनाशाय च दुष्कृताम् जिसका अर्थ है दुष्ट व्यक्तियों की बुराई दूर करने के लिए.

मन्दिर की पहली मंजिल पर देवताओं के चार गर्भगृह

महावीर मंदिर के वर्तमान भवन का जीर्णोद्धार वर्ष 1985 में हुआ था. 10 हजार वर्ग फुट क्षेत्रफल में फैले मन्दिर परिसर में भक्तों की सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है. मन्दिर की पहली मंजिल पर देवताओं के चार गर्भगृह है. इनमें से एक भगवन राम का मन्दिर है जहां से इसका प्रारंभ होता है. राम मन्दिर के पास भगवान कृष्ण का चित्रण किया गया है जिसमें वे अर्जुन को धर्मोपदेश दे रहे है. इससे अगला देवी दुर्गा का मन्दिर है. साथ ही भगवान शिव का ध्यान करती मां पार्वती और नंदी-पवित्र बैल की मुर्तिया हैं जो लकड़ी के कटघरे में रखी गयी हैं. लकड़ी के कटघरे में शिव जी के ज्योतिर्लिंग को स्थापित किया गया है. इस मंजिल पर एक अस्थायी राम सेतु भी है जिसे कांच के एक पात्र में रखा गया है. इसके अलावा मंदिर में और भी कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं. वहीं मन्दिर की दूसरी मंजिल का प्रयोग अनुष्ठान प्रयोजन के लिए किया जाता है. इस मंजिल पर रामायण की विभिन्न दृश्यों का चित्र प्रदर्शन भी किया गया है.

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