Makar Sankranti 2021: मकर संक्रांति के अगले दिन से बिहार में राजनीतिक गतिविधियां काफी तेज हो जाएंगी. राजद (RJD) की ओर से तेजस्वी यादव (Tejashwi yadav) धन्यवाद यात्रा (Dhanyawad yatra) की शुरुआत करेंगे तो वहीं बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार भी होगा.
बंगाल चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की सक्रियता में तेजी आएगी. बता दें कि 17वीं विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिर्फ 15 विधायकों के साथ शपथ ग्रहण की थी. अभी उनकी कैबिनेट में 21 और मंत्रियों को एंट्री होनी है. कैबिनेट में किस दल की कितनी भागीदारी होगी, यह तय नहीं हुआ है. अटकलों में ही एक फार्मूला तैर रहा है.
हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के सात में से छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद से विपक्ष की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कई तरह के ऑफर मिले. हालांकि इस ऑफर को सीएम नीतीश और जदयू अध्यक्ष ने सिरे से खारिज किया. .
जदयू ने असम और बंगाल चुनाव में अकेले लड़ने का ऐलान किया है तो खरमास के बाद जदयू अपना अगला कदम लेगी. इधर, जीतनराम मांझी की पार्टी हम और चिराग पासवान की पार्टी की बैठकें भी खरमास बाद प्रस्तावित है. माना जा रहा है कि मकर संक्रांति के बाद बिहार की सियासी घटनाक्रम तेज होगा
मकर संक्रांति 2021 के ठीक अगले दिन से तेजस्वी धन्यवाद यात्रा शुरू कर सकते है. राजद के वरिष्ठ नेताओं की तबीयत खराब होने से इस काम में अभी अपेक्षित गति नहीं पहुंच पायी है,लेकिन राजद ने अपने जिला स्तरीय पदाधिकारियों को अलर्ट कर रखा है. जानकारों के मुताबिक तेजस्वी की धन्यवाद यात्रा का सियासी महत्व होगा, यह देखते हुए कि यह पार्टी मध्यावधि चुनावों की तैयारी में लगी है. जानकारों के मुताबिक तेजस्वी चार या पांच जनवरी को दिल्ली से पटना आ जायेंगे. उनके आने के बाद धन्यवाद यात्रा की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जायेगा.
हाल के दिनों में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ रालोसपा प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात के बाद अटकलों का बाजार गर्म है. जदयू के साथ रालोसपा के विलय की बात उपेंद्र कुशवाहा पहले ही खारिज कर चुके हैं लेकिन सूत्रों का दावा है कि एनडीए के साथ रालोसपा के सम्मानजनक गठबंधन पर चर्चा जरूर हो रही है.
बात करें अगर केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की तो विस्तार के क्रम में यदि लोजपा प्रमुख चिराग पासवान को जगह नहीं मिलती है तो यह माना जाएगा कि जेडीयू के दबाव में लोजपा अब एनडीए का हिस्सा नहीं रहेगी हालांकि अभी तक ऐसी कोई सियासी हलचल नहीं है. लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद जदयू ने साफ संकेत दे दिए हैं कि विधानसभा चुनाव में लोजपा की भूमिका को भाजपा को देखना चाहिए और उस पर एक्शन लेना चाहिए.
Posted By: utpal kant