Makar Sankranti 2021 : मकर संक्रांति पर धनबाद में इस बार नहीं लग रहा झारखंड का सबसे बड़ा करमदहा मेला, पढ़िए क्या है इस मेले की खासियत
Makar Sankranti 2021, Dhanbad News, पूर्वी टुंडी (भागवत दास) : धनबाद जिला और पूर्वी टुंडी प्रखंड के सीमांत करमदहा में लगने वाला ऐतिहासिक 15 दिवसीय वार्षिक करमदहा मेला इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण आयोजित नहीं होगा. ये मेला आज शुक्रवार 15 जनवरी से शुरू होता है और 15 दिनों तक चलता है. मेले के इतिहास में पहली बार आयोजन पर ब्रेक लगा है.
Makar Sankranti 2021, Dhanbad News, पूर्वी टुंडी (भागवत दास) : धनबाद जिला और पूर्वी टुंडी प्रखंड के सीमांत करमदहा में लगने वाला ऐतिहासिक 15 दिवसीय वार्षिक करमदहा मेला इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण आयोजित नहीं होगा. ये मेला आज शुक्रवार 15 जनवरी से शुरू होता है और 15 दिनों तक चलता है. मेले के इतिहास में पहली बार आयोजन पर ब्रेक लगा है.
नारायणपुर थाना क्षेत्र के करमदाहा स्थित दुखिया महादेव मंदिर के समीप लगने वाला झारखंड का प्रसिद्ध करमदाहा मेला हर वर्ष मकर संक्रांति के बाद वाले दिन यानी खिचड़ी के दिन से ही शुरू होता है जो पंद्रह दिनों तक रहता है. इस दौरान नारायणपुर तथा पूर्वी टुंडी के लोगों के अलावा गोविन्दपुर-साहेबगंज सड़क पर आनेजाने वाले राहगीरों के लिए भी यह मेला आकर्षण का केन्द्र होता है.
ऐतिहासिक करमदहा मेला शुरु होते ही जामताड़ा, धनबाद, गिरिडीह, देवघर सहित कई अन्य जिलों से लोग आ कर करमदहा मेला का लुत्फ उठाते थे. खास कर इस मेले में लगे खेल-तमाशे एवं झूले मेले में आये बच्चों को अपनी ओर खूब आकर्षित करते थे, लेकिन इस वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना के दुष्प्रभाव को देखते हुए सरकार ने इसके आयोजन पर रोक लगा दिया है.
इस 15 दिवसीय ऐतिहासिक करमदहा मेला में हर वर्ष संथाली यात्रा, चित्रहार, मौत का कुंआ, टोरो-टोरो, ब्रेक डांस झूला, जंपिंग रिंग, सर्कस, तारा माची, अप्पू ट्रेन, ड्रैगन, छोटे-बड़े झुले के अलावे मीना बाजार, लौह सामग्री के दुकान, बर्तन दुकान सहित विभिन्न प्रकार की मिठाई तथा अन्य खानेपीने की चीजें होती हैं.
17 वीं शताब्दी से लगातार लगने वाला ऐतिहासिक मेले का आयोजन पहली बार नहीं होने से झारखंड तथा इसके पड़ोसी राज्य बंगाल, बिहार तथा यूपी के सैकड़ों दुकानदारों के साथ-साथ करमदाहा समेत सैकड़ों गांवों के ग्रामीण निराश है.
जिला प्रशासन के निर्देश पर इस बार मेले का डाक नहीं किया गया. पिछले वर्ष करमदाहा मेला के डाक की राशि लगभग 12 लाख रुपये थी. इस वर्ष मेला के आयोजन नहीं होने से सरकार को राजस्व की भी क्षति हो रही है, लेकिन कोरोना जैसी महामारी के आगे सरकार कोई खतरा नहीं लेना चाहती.
Posted By : Guru Swarup Mishra