पटना में हर तरफ तिल-लाई की खुशबू, सूर्य आज रात करेंगे मकर राशि में करेंगे प्रवेश, बिहार में कल मनेगा संक्रांति

बिहार की राजधानी पटना शहर के गली-मोहल्लों से लेकर बाजार में भी कई जगहों पर फुटपाथ पर टेंट लगाकर अस्थायी दुकानें खोली गयी हैं. तिलकुट की सोंधी खुशबू लोगों को दूर से ही आकर्षित करती रही.

By Radheshyam Kushwaha | January 14, 2023 8:38 AM

Makar Sankranti 2023: स्नान-दान का पर्व मकर संक्रांति रविवार को मनाया जायेगा. हालांकि कई लोग इसे आज भी मनायेंगे. इसके लिए घर-घर में तैयारी पूरी हो चुकी है. शुक्रवार को देर रात तक लोगों ने तिलकुट, लाई, बादाम पट्टी व तिल से बनी कई तरह की मिठाइयों से लेकर दही-चूड़ा और गुड़ तक की खरीदारी की. शहर के गली-मोहल्लों से लेकर बाजार में भी कई जगहों पर फुटपाथ पर टेंट लगाकर अस्थायी दुकानें खोली गयी हैं. तिलकुट की सोंधी खुशबू लोगों को दूर से ही आकर्षित करती रही. बाजार में तिलकुट की दुकानों पर खरीदारों की भीड़ लगी रही . वहीं दूसरी ओर सुधा काउंटरों पर लोग दूध और दही की खरीदारी करते दिखे.

15 जनवरीको चित्रा नक्षत्र में पूरे दिन की होगी संक्रांति

हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान सूर्य आज (शनिवार) 14 जनवरी की देर रात 02:53 बजे धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. सनातन धर्म में उदया तिथि से पर्व मनाने की परंपरा रही है. ऐसे में कल माघ कृष्ण अष्टमी रविवार यानी 15 जनवरी को चित्रा नक्षत्र में पूरे दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जायेगा. कल ग्रहों के राजा सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जायेंगे. मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल में गंगा स्नान करने से शारीरिक कष्ट का नाश होता है.

अन्न दान का है विशेष महत्व

संक्रांति को लेकर पंडित विनय कुमार कहते हैं, दूध-दही के साथ चूड़ा–गुड़ खाने की परंपरा है. दूध और दही का उपयोग हिंदू धर्म में पूजा पाठ में प्रारंभ से ही होता रहा है. यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा था कि अमृतम् किंम् ? इसका उत्तर युधिष्ठिर ने दिया था- गोरसम्. गोरस का अर्थ होता है दूध या दही.

Also Read: बिहार में मकर संक्रांति पर कोहरे के आगोश में रहेंगे गंगा घाट, इस दिन स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देने का है विधान
स्नान कर सूर्य को अर्घ देने का है विधान

मकर संक्रांति के दिन स्नान कर सूर्य को अर्घ देने का विधान है. मान्यता है कि जो मनुष्य इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करता है, उसके दिन की शुरुआत अच्छे से होती है. उसके जीवन में नवीन ऊर्जा, शक्ति, तेजस्विता की प्राप्ति होती है और जड़ता, आलस्य व हीन भावनाएं सूर्य के प्रचंड ताप से भस्म हो जाती हैं. इस बार मिथिला और बनारसी पंचांग के अनुसार तिथियों में मतभेद नहीं है. इसलिए रविवार को ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जायेगा. हालांकि, कई लोग शनिवार को भी मकर संक्रांति मनायेंगे और सुख-समृद्धि के लिए कामना कर प्रसाद स्वरूप चूड़ा, दही, तिलकुट व रात को खिचड़ी का आनंद उठाएंगे.

https://www.youtube.com/watch?v=78EeDvvzmsM

Next Article

Exit mobile version