Makar Sankranti 2024: विदेशों तक मशहूर है बिहार के गया का तिलकुट, खरीदारी शुरू, जानिए खासियत
Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति के त्योहार में अब अधिक समय नहीं है. दुकानों में लोगों ने खरीददारी शुरु कर दी है. दुकानें सजकर तैयार भी है. वहीं, गया का तुलकुट पूरे विश्व में मशहूर है. देश के बाहर भी इसकी बिक्री होती है.
Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति के त्योहार में अब अधिक दिन नहीं बचा है. दुकानों में लोग खरीददारी कर रहे हैं. दुकानें सजकर तैयार है. वहीं, गया का तिलकुट पूरी दुनिया में मशहूर है. देश के बाहर भी इसकी बिक्री की जाती है. यह कई मायनों में खास है. यही कारण है कि विदेशों में भी लोग इसे खूब पसंद करते है. बिहार सरकार की ओर से इसके उत्पादन को बढ़ावा भी दिया जाता रहा है. तिल के उत्पादन से किसानों तक लाभ पहुंचता है. इसके अलावा इसके कारोबार से कई लोगों को लाभ भी मिलता है. विदेशों से लोग पर्यटन स्थल बोध गया में पहुंचते है. इस दौरान यह अपने साथ यहां के तिल्कुट को लेकर जाते है. वहीं, कई लोग विदेशों में रह रहे रिश्तेदार तक तिलकुट को पहुंचाते भी है.
गया में होती है तिल की खेती
फिलहाल, दिन के साथ- साथ रात में भी तिलकुट को बनाने का काम चल रहा है. लोग थोक भाव में इसकी खरीददारी में जुटे हुए है. तिलकुट की खुशबु से बाजार महकने भी लगा है. कई इलाकों में तो अलग- अलग शिफ्टों में काम चल रहा है. गया के तिलकुट के बारे में कहा जाता है कि यहां तिलकुट बनाने के लिए कभी से भी तिल मंगाए बनाए जाते थे. तिलकुट गया का होता था, तो तिल राजस्थान और गुजरात का भी होता था. वहीं, अब यहां तिल की खेती भी होती है. इससे ही तिल का निर्माण शुरु किया गया है.
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गया में सालों भर मिलता है तिलकुट
वहीं, हमेशा से ही मकर संक्राति पर चूड़ा – दही और गुड़ खाने की परंपरा रही है. इसके अलावा तिल से बनी चीजों का भी इस दिन सेवन किया जाता है. क्योंकि कहा जाता है कि इसके सेवन से लोगों को ठंड से राहत मिलती है. वहीं, इस दौरान ठंड भी रहता है. लेकिन, गया के तिलकुट की बात ही कुछ और है. इसके करोड़ों दीवाने है. यहां नवंबर से ही अधिक मात्रा में कारोबारी तिलकुट बनाने के काम में जुट जाते है. इसका कारण है कि इसकी मांग भी अधिक होती है. हजारों कारीगर इसका निर्माण करते हैं. दिसंबर से लेकर फरवरी के महीने तक इसकी मांग होती है. वहीं, गया में सालों भर तिलकुट मिलता है. कई दुकानें सिर्फ तिलकुट की है. यह सालों भर खुले रहते है. वहीं, सालों भर इसकी खरीददारी भी होती है. लेकिन, बिहार के हर जिलों में ऐसा नहीं है.
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विदेशों में भेजा जाता है तिलकुट
तिलकुट की डिमांड फरवरी तक अधिक तो होती है. लेकिन, 14 जनवरी को इसकी मांग अधिक होती है. लोग इसका जमकर सेवन करते हैं. यहां के तिलकुट की खासियत के बारे में बताया जाता है कि यह खस्ता होता है. लोग कहते है कि यहां के जैसा पानी और जलवायु और कहीं नहीं मिलता, जो इस तिलकुट को काफी खास बनाता है. यही कारण है कि इस तिलकुट की खूब मांग है. लोग इसे खूब पसंद करते है. इसकी राज्य के बाहर तो बिक्री होती है. साथ ही विदेशों में भी इसका कारोबार होता है. यहां के तिलकुट में सोंधी खुशबू होती है. कई लोग अपने रिश्तेदारों को डाक के माध्यम से तिलकुट भेजते है. इस तरह से विदेशों में रहने वाले लोगों तक भी यह पहुंच जाता है. बड़े लोगों के अलावा बच्चे भी गया के तिलकुट को काफी प्रेम से खाते हैं. कहते है कि मुख्य रुप से गया में रमना और टिकारी रोड में तिलकुट की मंडी है. यहां कई तिलकुट की दुकान है और सालों भर यहां तिलकुट को बनाया जाता है. लोगों के अनुसार इसका इतिहास भी काफी पुराना है. इसका स्वाद भी काफी अच्छा होता है. हाथ से कूटकर तिलकुट को बनाया जाता है. तिल को जमकर कुटा जाता है. यह इतना खस्ता होता है कि सिर्फ हाथ से छूने भर से यह टूट जाता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि गया के जैसा तिलकुट और कहीं भी नहीं मिलता है.