पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विपक्षी दलों के गठबंधन के नेतृत्व करने को लेकर दिए गए बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया है. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के नेता इस बयानबाजी में शामिल हो गए हैं. इस बीच, राजद प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू यादव भी ममता बनर्जी के समर्थन में उतर आए है. ऐसे में यह कांग्रेस के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. दरअसल, डेढ़ साल पहले जिस राहुल गांधी को राजद प्रमुख इंडिया गठबंधन का दूल्हा बता रहे थे उन्हें ही आज के समय में कांग्रेस नेता पर भरोसा नहीं रह गया है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि लालू यादव अपने ही वादे से पलट गए हैं. लेकिन उससे पहले जान लेते है राजद नेता ने क्या कहा है?
कांग्रेस के आपत्ति जताने से कुछ नहीं होगा: लालू यादव
पटना में मंगलवार को लालू प्रसाद यादव पत्रकारों से बात कर रहे थे. इस दौरान पत्रकारों ने जब उनसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान के संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा, “इंडिया गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी को दे देना चाहिए और इससे हम सहमत हैं.” वहीं, जब उनसे कांग्रेस की आपत्ति को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “कांग्रेस के आपत्ति जताने से कुछ नहीं होगा. गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी को दे देना चाहिए.”
ममता ने उठाए थे सवाल
पिछले दिनों मीडिया से बात करते हुए ममता बनर्जी विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के कामकाज पर असंतोष व्यक्त किया था और मौका मिलने पर इसकी कमान संभालने के अपने इरादे का संकेत दिये थे. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ने कहा था कि वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में अपनी भूमिका जारी रखते हुए विपक्षी मोर्चे के नेतृत्व के साथ दोहरी जिम्मेदारी संभालने में सक्षम होंगी.
राहुल के नेतृत्व से उठा RJD का भरोसा
ऐसे में सवाल उठता है कि जिस राजद प्रमुख लालू यादव ने डेढ़ साल पहले राहुल गांधी को इंडिया गठबंधन का दूल्हा बताया था. उन्हें ही आज कांग्रेस पर भरोसा क्यों नहीं रह गया है. तो इसका जवाब हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं. दरअसल, लोकसभा चुनाव में जरूर राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था. लेकिन हाल ही में हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उस प्रदर्शन को नहीं दोहरा पाई है. वहीं, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में राजद नीत महागठबंधन ये नहीं चाहेगा कि कांग्रेस को ज्यादा सीटें दी जाए. ऐसे में इसे एक प्रेशर पॉलिटिक्स के तौर भी देखा जा रहा है.