Political News: जदयू ने बिहार में भाजपा से अपना नाता तोड़कर खुद को एनडीए से अलग कर लिया. जेडीयू अब लगातार केंद्रीय स्तर की राजनीति में भी अपनी अहम भूमिका निभाने की ओर अग्रसर दिख रहा है. पार्टी अब आगामी लोकसभा चुनाव 2024 पर सारा ध्यान केंद्रित की हुई है. नीतीश कुमार पूरे विपक्ष को एकजुट करने की तैयारी में है. उधर जहां जदयू नेशनल पार्टी बनने की ओर सारा जोर लगाती आ रही है वहीं दूसरी ओर भाजपा जदयू को लगातार डैमेज करती ही आ रही है. जिससे जेडीयू की मुश्किलें बढ़ती जा रही है.
बिहार में जदयू बीजेपी से अलग हो चुकी है. आगामी चुनावों में दोनों दलें आमने-सामने रहेंगी. वहीं मणिपुर में भाजपा ने जदयू को बड़ा झटका दे दिया है. पिछले ही महीने अगस्त में मणिपुर जदयू के लिए बड़ा समाचार सामने आया था जब जेडीयू को मणिपुर में राज्य पार्टी का दर्जा मिला था. लेकिन ठीक एक महीने बाद ही अब सितंबर शुरू होते ही भाजपा ने वहां बड़ी सर्जरी की है. बीजेपी ने जदयू के 6 में 5 विधायकों को अपने खेमे में मिला लिया है.
मणिपुर में राज्य पार्टी का दर्जा मिलने की खुशी एक महीने के अंदर में फीकी पड़ गयी और जदयू मणिपुर में अब एक विधायक वाली पार्टी बनकर रह गयी है. लोकसभा व विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए निर्वाचन आयोग ने इलेक्शन सिंबल्स आदेश के प्रावधानों के तहत जदयू को ये दर्जा दिया था.
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जदयू को चार राज्यों में राज्य पार्टी का दर्जा मिलते ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाएगा. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी इस ओर तैयारी को प्राथमिकता बताते हुए आगे की बात अक्सर करते आए हैं. लेकिन भाजपा लगातार जदयू को डैमेज करती जा रही है. इस ओर जदयू को अब विशेष तौर पर ध्यान देने की जरुरत है.
बीजेपी ने मणिपुर से पहले अरुणाचल प्रदेश में भी जदयू खेमे में बड़ी सेंधमारी की थी. 2019 में अरुणाचल विधानसभा चुनाव में जदयू के सात प्रत्याशी जीते थे, जिनमें से छह पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके थे. वहीं पिछले 24 अगस्त को बाकी बचे एकमात्र जदयू विधायक को भी भाजपा ने अपने खेमे में मिला लिया था. जदयू के लिए अब ये बड़ी परेशानी बन चुकी है कि एक तरफ जहां वो बिहार से बाहर अन्य राज्यों में पांव पसारने में जुटी है वहीं भाजपा लगातार उसमें सेंधमारी करती जा रही है. जदयू को राज्यों में संगठन को मजबूती देना होगा.
Posted By: Thakur Shaktilochan