आठ मार्च को रंगोत्सव का त्योहार मनाया जायेगा. इसे लेकर पटना के बाजार सज चुके हैं. रंग-गुलाल, पिचकारी, रंग बिरंगे बाल, डिजाइनर और आकर्षक टोपियां, मुखौटे आदि की खरीदारी शुरू हो चुकी है. दुकानदार इस बार पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर खरीदारी की उम्मीद जता रहे हैं. होली के बाजार की विशेषता यह दिख रही है कि बाजार में मौजूद पिचकारी में चाइनीज कम और मेड इन इंडिया ज्यादा है. कई जगह हर्बल, तो कई जगह केमिकल वाले रंग भी बाजार में उपलब्ध है.
राजधानी पटना के बाजार अब पूरी तरह से होली मूड में नजर आने लगे हैं. बच्चों और बड़ों को लुभाने के लिए तरह-तरह के मैजिक गुलाल गन व इंडियन पिचकारियां बाजार में लाये गये हैं. दुकानदार बताते हैं कि पहले पिचकारियां सिर्फ चाइनीज ही आती थी, वह अब बेहद कम हो गयी हैं. पहली बार इस होली में 80 प्रतिशत तक पिचकारी भारतीय निर्माताओं की बनायी हुई हैं. भारतीय फैक्ट्रियों में बनी ये पिचकारी चाइनीज की अपेक्षा ज्यादा टिकाऊ और गुणवत्तायुक्त हैं. इसलिए ग्राहकों की पसंद भी मेड इन इंडिया पिचकारी बन गयी है.
बोरिंग रोड चौराहा स्थित एक दुकानदार ने बताया कि बाजार में 25 रुपये से लेकर 1000 हजार तक की पिचकारी मौजूद है. इस बार पटना के बाजार में थंडर मटका तूफान गुलाल सिलिंडर आया है. इसे दबाने पर रंग-बिरंगे गुलाल निकलते हैं. इसकी कीमत 1120-1500 रुपये है. जबकि, मिनी कलर थंडर हर्बल 500-800 रुपये में उपलब्ध है. इसमें चार रंग हैं. वहीं, मैजिक गुलाल गन की कीमत 150-250 रुपये है. कलर स्मोक हैंड पायरो गन भी मार्केट में उपलब्ध है.
हर्बल रंग और गुलाल की ज्यादा है डिमांड
राजधानी के लोग अब काफी ज्यादा स्वास्थ्य के प्रति सजग हुए हैं. यही वजह है कि होली में केमिकल वाले रंगों और गुलाल की जगह प्राकृतिक और हर्बल रंग-गुलाल की खरीदारी करना पसंद कर रहे हैं. भारी डिमांड को देखते हुए बाजार में विभिन्न कंपनियों के हर्बल रंग व गुलाल उपलब्ध है. जिसकी कीमत 20 रुपये से लेकर 100 रुपये ( प्रति 100 ग्राम) है. यही वजह है कि सेहत को लेकर सचेत पटनावासी जमकर हर्बल गुलाल और रंग की खरीदारी कर रहे हैं.
फूलों व चुकंदर से बना है ब्रांडेड गुलाल
वहीं बाजार में ब्रांडेड कंपनियों के गुलाल 200 रुपये से लेकर 800 रुपये प्रति पैक तक व अबीर 250 से लेकर 400 रुपये प्रति पैक मार्केट में उपलब्ध है. रंग और गुलाल कारोबार से जुड़े कारोबारियों की मानें तो हर्बल गुलाल बनाने के लिए फूल, फल एवं पत्तियों का उपयोग किया जाता है. हरे रंग के लिए पालक, गुलाबी के लिए गुलाब के फूल, पीले और केसरिया रंग के लिए पलाश एवं गेंदा फूल, लाल रंग के लिए चुकंदर और अन्य रंगों के लिए चंदन सहित अन्य प्रकार के फूल एवं पत्तियों के रंगों का प्राकृतिक रूप से उपयोग किया जाता है.
Also Read: होली पर नालंदा के इन 5 गांवों में गूंजता है हरि का नाम, न उड़ता रंग न जलता चूल्हा, 51 साल से चली आ रही परंपरा
बाजार में इन दिनों रंग बिरंगे नकली बाल, मुखौटे, डिजनाइनर और चमक दमक से भरी टोपियां, पीठ पर टांगने वाला रंगों से भरा बैग, तरह-तरह के बैलून आदि मौजूद हैं. ये अपने अनोखेपन के कारण लोगों को लुभा रहे हैं. इस बार बाजार में सेल्फ सीलिंग वाटर बैलून भी आया है. 100 रुपये में यह बैलून का एक सेट होता है जिसमें रंग भर कर नल में लगा देने पर एक साथ कई बैलून में रंग और पानी का घोल भर जाता है. पांच मोमबत्ती वाला कलर फॉग गुलाल जिसकी 100 रुपये कीमत है वह भी खूब पसंद किया जा रहा है. इसमें आग लगाने पर कई रंग के गुलाल एक साथ हवा में मिल जाते हैं. इसके साथ ही होली पर करीब 100 रुपये में आने वाला टीशर्ट भी खूब बिक रहा है. इन टी शर्ट पर होली के संदेश लिखे रह रहे हैं.
इस बार होली के बाजार पर महंगाई का असर दिख रहा है. दुकानदारों की माने तो इस होली में पिछले वर्ष की तुलना में होली में बिकने वाले रंग-गुलाल, पिचकारी, बैलून, टोपी, रंगीन बाल आदि की कीमतों में करीब 20 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया है. इसका असर खरीदारी पर भी देखा जा सकता है. बढ़ती महंगाई का असर आम लोगों की पॉकेट पर पहले से ही भारी पड़ रहा है. ऐसे में होली के समान पहले से महंगा होने से आम लोगों की पॉकेट और ढीली होगी.
Also Read: Holi 2023 : काहे भौजी जाअ-लु नइहरवा, छोड़ के होली के बहार… ‘फगुआ’ बिना अधुरी है बिहार की होली
-
रंग साधारण: 05 -80प्रति 100 ग्राम
-
गुलाल साधारण : 05 -75 प्रति 100 ग्राम
-
रंग हर्बल: 20-100 प्रति 100 ग्राम
-
गुलाल हर्बल : 20-100 प्रति 100 ग्राम
-
टोपियां:~20-100
-
रंगीन बाल: 150-300
-
पिचकारी: 25-1000
-
बैलून : पांच रुपये-100
-
गुलाल सिलिंडर/रंगों का बैग : 250-1000
-
मिनी कलर थंडर हर्बल : 500-800