बिहार के मुजफ्फरपुर के कटरा प्रखंड के जजुआर पश्चिमी पंचायत के रहने वाले एयरफोर्स के जवान रवि ठाकुर शहीद हो गए. सोमवार को देर रात उनके शव को गांव लाया गया. मंगलवार को बेगूसराय से सिमरिया घाट पर सेना के जवानों के द्वारा सलामी दी गई और हिंदू रीति-रिवाज के साथ दाह संस्कार किया गया. बताया जा रहा है कि शहादत की रात अपनी पत्नी से उन्होंने आखिरी बार बात की थी और कहा था कि अब मैं सोने जा रहा हूं कल बात करूंगा. लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था सुबह उनका फोन तो नहीं लेकिन उनके शहादत की खबर आ गई.
मुजफ्फरपुर के रहने वाले थे रवि
रवि ठाकुर लद्दाख में एयरफोर्स के 21 विंग में तैनात थे. 7 दिसंबर की रात डयूटी के दौरान रेस्ट रूम में आग लगने से शहीद हो गए. एयर फोर्स जवान मूल रूप से मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड के जजुआर पश्चिमी पंचायत के रहने वाले थे. उनका भरण-पोषण दरभंगा जिले के सिंहवाड़ा प्रखंड के भरवाड़ा में नाना के घर हुआ था. उनके पिता मुंबई में प्राइवेट जॉब करते हैं, मां और छोटा भाई गोपाल ठाकुर भी वहीं रहते हैं.
11 दिसंबर को घर आने वाले थे
लोगों ने बताया कि रवि दो साल से लद्दाख में थे. 11 दिसंबर को वे छुट्टी पर घर आने वाले थे. उनकी तबादला हाल ही में बेंगलुरु हुई थी. वहीं, घरवालों ने बताया कि शहीद की शादी 7 साल पहले सिंघवारा की रहने वाली दीपाली झा से हुई थी. उनका तीन साल का एक बेटा भी है. पत्नी दो साल से दरभंगा के लक्ष्मीसागर मोहल्ले में किराए के मकान में रहती थी.
कहते थे जब भी आएंगे, तिरंगे में आएंगे
पति के शहीद होने की खबर जैसे ही पत्नी को मिली वह बेसुध हो गई. किसी तरह मीडिया से बात करते हुए कहा कि 7 दिसंबर की रात रवि से उनकी बात हुई. उन्होंने कहा कि अभी ड्यूटी पर हूं, अगली सुबह बात करूंगा. पति से बात होने के बाद वह सो गई. सेना के जवानों के द्वारा 8 दिसंबर को लद्दाख से फोन आया कि आपके पति रेस्ट रूम में आग लगने से शहीद हो चुके हैं. वे अक्सर कहते थे कि जब भी आएंगे, तिरंगे में आएंगे. उनका तो सपना पूरा हो गया, लेकिन मेरा सपना अधूरा रह गया. अब मुझे और मेरे बेटे को कौन देखेगा.