लखनऊ. बसपा सुप्रीमो मायावती ने बिहार सरकार को दलित विरोधी बताया है. मायावती ने नीतीश सरकार पर दलित विरोधी व अपराध समर्थक होने का भी आरोप लगाया. मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा है कि ‘बिहार की नीतीश सरकार आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी कर रही है. बिहार सरकार का यह निर्णय देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है.
बसपा सुप्नीमो ने कहा कि आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं. लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है. मायवती ने मांग की चाहे कुछ मजबूरी हो किन्तु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करें. जानकारी के अनुसार, आनन्द मोहन और कृष्णैया का मामला 29 साल पहले का है. 1994 में बिहार पीपल्स पार्टी (BPP) के नेता और उस समय का माफिया छोटन शुक्ला पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. उसकी शव यात्रा में हजारों लोगों की भीड़ जुटी थी. भीड़ की अगुआई BPP के संस्थापक आनंद मोहन कर रहे थे.
Also Read: अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता के समर्थन में प्रोफेसर ने दिया धरना, कहां-पुलिस बेवजह ना करें परेशान1. बिहार की नीतीश सरकार द्वारा, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है।
— Mayawati (@Mayawati) April 23, 2023
आनन्द मोहन ने दलित समाज से आने वाले डीएम कृष्णैय्या को कार से निकाल कर भीड़ के हवाले कर दिया था. भीड़ ने डीएम कृष्णैय्या को पहले पीटा था. फिर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसी मामले में 2007 में पटना हाईकोर्ट ने आनन्द मोहन को मौत की सजा सुनाई. फिर बाद में उनकी सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया. आनन्द मोहन को जेल से निकालने की वजह सियासी है. जेडीयू को लगता है कि भाजपा को टक्कर देने के लिए राजपूत वोट बैंक में सेंधमारी करनी होगी. इसी सियासी समीकरण को साधने के लिए नीतीश सरकार जेल में बंद आनन्द मोहन को बाहर निकालना चाहती है.