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महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी परिसर में खुलेगा मेडिकल कॉलेज, इसी सत्र से होगी मैथिली-भोजपुरी की पढ़ाई

कुलपति प्रो संजय श्रीवास्तव ने इसकी घोषणा की. उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से मेडिकल कॉलेज खोलने की पहल भी की गयी है. विश्वविद्यालय अपने स्थापना काल से लगातार आगे की ओर बढ़ रहा है. वर्तमान में यहां 351 शोधार्थी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत से जुड़े विभिन्न विषयों पर शोध कर रहे है.

सच्चिदानंद सत्यार्थी, मोतिहारी. महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय का सेटेलाइट कैंपस जल्द ही बेतिया और शिवहर में भी खुलेगा. गुरुवार को महात्मा गांधी प्रेक्षागृह में आयोजित पहले दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो संजय श्रीवास्तव ने इसकी घोषणा की. उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से मेडिकल कॉलेज खोलने की पहल भी की गयी है. विश्वविद्यालय अपने स्थापना काल से लगातार आगे की ओर बढ़ रहा है. वर्तमान में यहां 351 शोधार्थी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत से जुड़े विभिन्न विषयों पर शोध कर रहे है. संस्कृति व कुटनीति के दृष्टिकोण से भी विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है.

विश्विवद्यालय का सैटेलाइट कैंपस खोला जायेगा

दीक्षांत समारोह में संबोधन के दौरान कुलपति प्रो संजय श्रीवास्तव ने कहा कि विश्वविद्यालय के बढ़ते कदम में शिवहर व बेतिया जिला जुड़ेगा, जहां केंद्रीय विश्विवद्यालय का सैटेलाइट कैंपस खोला जायेगा. परिसर में मेडिकल कॉलेज भी खुलेगा. सरकार के राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय में पढ़ाई आरंभ कर दी गयी है. कार्यक्रम में जो बातें उभरकर सामने आयी, उसके अनुसार मोतिहारी केंद्रीय विश्वविद्यालय पहला विश्वविद्यालय है, जहां भोजपुरी के साथ मैथिली पाठयक्रम को विश्वविद्यालय की सूची में शामिल किया गया है.

शोध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य, दर्जनभर संस्थानों से हैं समझौता

सात साल के सफर में विश्वविद्यालय ने शोध के क्षेत्र में भी काफी प्रगति की है. राष्ट्रीय स्तर की कार्ययोजना के तहत दर्जनभर से अधिक संस्थानों के साथ विश्वविद्यालय ने एमओयू साइन किया हैं, जिनकी मदद से लगातार शोध हो रहे हैं. विश्वविद्यालय के छात्रों का एक हजार से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं, तो 100 पुस्तकों का प्रकाशन भी छात्र व शिक्षकों ने किया है.

समाज से जुड़कर भी तलाश रहे नया विकल्प

विश्वविद्यालय प्रशासन ने समाज से जुड़कर विकास के नये विकल्प की तलाश भी शुरू कर दी है. सामाजिक भागीदारी योजना के तहत पांच गांवों को विश्वविद्यालय ने गोद लिया है, जहां शिक्षा के क्षेत्र के साथ विकास की हर संभावनाओं की तलाश की जा रही है. कॉलेज के विद्यार्थी इन गांवों में जाकर लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता का महत्व समझाते हैं. सरकार की योजनाओं के बारे में भी ग्रामीणों को जागरूक किया जाता है.

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जमीन मिलते ही आकार लेने लगेगा विश्वविद्यालय

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए 302 एकड़ जमीन की आवश्यकता है. इसमें अब तक करीब 135 एकड़ जमीन मिल चुकी है. शेष जमीन मिलने के साथ ही विश्वविद्यालय का भवन भी आकार लेने लगेगा. वहीं भूमि पर प्राेजेक्ट की तैयारी भी अंतिम चरण में है. कम समय में इतनी बड़ी उपलब्धि और विश्वविद्यालय के बढ़ते कदम शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में चंपारण ही नहीं, बिहार व देश के लिए मील का पत्थर साबित होगा. यहां से अध्ययन कर निकले देश के बड़े शहरों के साथ ही विदेशों में भी नाम रौशन कर रहे हैं. प्रथम दीक्षांत समारोह में केविवि से अब तक पास आउट 1485 छात्रों में से करीब एक हजार छात्र शामिल हुए है. वहीं 161 छात्रों को गोल्ड मेडल दिया गया है. दीक्षांत समारोह के सफल आयोजन को लेकर गठित सभी समिति के सदस्यों व शिक्षकों को शुभकामना दी है. इधर जमीन की समस्या के समाधान की घोषणा के बाद केविवि के छात्रों में हर्ष है.

दीक्षांत समारोह में केविवि को मिले कई तोहफे, निर्माण का रास्ता साफ

प्रथम दीक्षांत समारोह केविवि के लिए ऐतिहासिक रहा. इस समारोह में केविवि को कई तोहफे मिले हैं जिसका वर्षों से इंतजार था. लंबित जमीन की समस्या का समाधान की घोषणा के साथ निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है. स्थापना काल से हीं केविवि जमीन की समस्या से जुझ रहा था. 301.96 एकड में 134.57 एकड जमीन केविवि को प्राप्त हो चुकी है. दीक्षांत समारोह की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कुलपति प्रो. संजय कुमार श्रीवास्तव ने मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया. साथ हीं कहा कि केविवि को शेष भूमि उपलब्ध कराने की घोषणा कर दी गई है. इसके साथ हीं केविवि को डीपीआर की भी अनुमति मिल चुकी है. भवन की दिशा में अब तेजी से कार्य होगा. किसी भी प्रकार का व्यवधान के लिए प्रदेश सरकार ने सहयोग की घोषणा की है.

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