राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने घोषणा की है कि 30 सितंबर के बाद मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले स्नातक छात्रों को अमान्य माना जायेगा और उन्हें मुक्त कर दिया जायेगा. आयोग ने केंद्रीय अधिकारियों, राज्य प्राधिकरणों और मेडिकल कॉलेजों सहित हितधारकों को यूजी एमबीबीएस पाठ्यक्रमों के लिए सत्र 2023-24 के लिए निर्धारित परामर्श कार्यक्रम का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने कट-ऑफ डेट के बाद कोई भी प्रवेश या काउंसेलिंग आयोजित करने को एनएमसी नोटिस और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन माना है.
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के आदेश के बाद बीसीइसीइबी की ओर से राज्य की 85 फीसदी मेडिकल और डेंटल सीटों पर एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स परेशान हैं. राज्य में तीसरे राउंड में एडमिशन एक से चार अक्तूबर तक हुआ था. तीसरे राउंड में एमबीबीएस की 860 सीटों के साथ ही, डेंटल व वेटनरी मिला कर कुल 1093 सीटें आवंटित की गयी थीं. इनमें सरकारी एमबीबीएस की 597 सीटें (कुल सीटें 1206), निजी कॉलेजों की एमबीबीएस की 263 सीटें (कुल सीटें 1050) के अलावा सरकारी डेंटल कॉलेजों की 75 सीटें और निजी डेंटल कॉलेजों की 122 सीटें शामिल थीं. तीसरे राउंड की काउंसिलिंग के बाद भी एमबीबीएस और डेंटल की 144 सीटें खाली रह गयी थीं. इसके लिए 18 अक्तूबर तक च्वाइस फिलिंग करायी गयी. अभी एडमिशन नहीं हुआ है. जिन सीटों पर अभी एडमिशन होना बाकी है उनमें 28 सरकारी कॉलेजों और 31 निजी कॉलेजों की एमबीबीएस सीटें हैं, इसके अलावा 13 सरकारी कॉलेज और 72 निजी कॉलेजों की डेंटल सीटें शामिल हैं.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने 27 जुलाई 2023 को ही सार्वजनिक नोटिस जारी कर यूजी एमबीबीएस काउंसेलिंग को हर हाल में 30 सितंबर 2023 तक पूरा कर लेने का आदेश दिया था. नोटिस में कहा गया था कि इसके बाद कोई भी नामांकन या काउंसेलिंग एनएमसी के नोटिस और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन माना जायेगा.
बीसीइसीइबी के अधिकारियों ने कहा कि कई कारणों से काउंसेलिंग लेट से शुरू हुई. इसमें लड़कियों के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की 50 प्रतिशत सीटों पर सरकारी फीस पर एडमिशन के मामले के कारण एडमिशन लेट हुआ ह
18 जनवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मेडिकल की यूजी व पीजी कोर्स में नामांकन के लिए टाइम फ्रेम तय किया था. यह टाइम फ्रेम सभी राज्यों व केंद्र सरकार से परामर्श के बाद तय किया गया था. साथ ही एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इसमें किसी भी फेरबदल से हाइकोर्ट को भी हस्तक्षेप करने से रोक लगा दी थी. जिसके बाद 23 जनवरी 2018 को एमसीआइ ने अपने रेगुलेशन में परिवर्तित करते हुए कट ऑफ डेट के बाद कोई भी नामांकन नहीं लेने का प्रावधान लाया. सुप्रीम कोर्ट ने 21 जून 2019 को एक अन्य आदेश में कहा कि कट ऑफ डेट में केवल इस आधार पर कि तय समय में सीटें खाली रह जा रही हैं, कोई छूट नहीं दी जा सकती है.
काउंसेलिंग देर से होने में स्टूडेंट्स की कोई गलती नहीं है. यह स्टेट का मामला है. स्टूडेंट्स को परेशान होने की जरूरत नहीं है. इस पर आगे विचार किया जायेगा.
–अनिल कुमार सिन्हा, ओएसडी, बीसीइसीइबी