गोपालगंज के भोरे रेफरल अस्पताल में झाड़ियों, शौचालय की टंकी और जर्जर हो चुके भवनों में फेंकी गयी दवाइयां मिलीं. इनमें कई ऐसी दवाएं भी थीं, जो एक्सपायर नहीं हुई थीं. मामले का खुलासा तब हुआ, जब शनिवार को भोरे रेफरल अस्पताल की जांच जिला पर्षद उपाध्यक्ष ने की. जानकारी मिलने के बाद बीडीओ ने भी रेफरल अस्पताल पहुंच कर पूरे मामले की जांच की. गुरुवार को रेफरल अस्पताल के परिसर में 4.80 लाख की आयरन की गोलियां फेंकी गयी थीं, जिसकी खबर समाचार पत्रों में प्रकाशित होने के बाद शनिवार को जिला पर्षद उपाध्यक्ष अमित कुमार राय ने पूरे मामले की जांच की.
जांच के दौरान जर्जर हो चुके भवन के शौचालय की टंकी में दवाएं फेंकी हुई मिलीं. इसके अलावा उसी जर्जर भवन में दवाओं से भरे कार्टन को छिपाकर रखा गया था. अस्पताल परिसर में उगी झाड़ियों में कई दवाओं को जलाया गया था, जिसके अवशेष भी बाहर निकाले गये. इनमें से कई दवाइयां एक्सपायर थीं तो कुछ की एक्सपायरी तिथि जुलाई 2022 और 2023 है. इस दौरान फैमिली प्लानिंग के लिए दिये जाने वाले निरोध और गर्भ निरोधक गोलियां भी बड़ी मात्रा में मिलीं. जानकारी मिलने पर बीडीओ डॉ संजय कुमार राय भी मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की. इस दौरान उन्होंने फेंकी गयी 19 प्रकार की दवाओं का सैंपल एकत्रित कराया. पूरे अस्पताल परिसर में कुल 37 प्रकार की जीवन रक्षक दवाओं को फेंका गया था.
अस्पताल में मौजूद आशा ने कहा कि इन दवाओं को फेंकने की जगह उनको उपलब्ध कराया गया होता, तो गर्भवतियों के बीच वितरित किया जाता. आशा ने भी हंगामा शुरू कर दिया. उनका कहना था कि उनके मानदेय का भुगतान नहीं हो रहा है. उनके बैठने का कोई स्थान नहीं है. वे पीपल के पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठने को मजबूर हैं. चेंजिंग रूम भी नहीं है. मौके पर मौजूद लोगों ने स्वास्थ्य प्रबंधक अखिलेश कुमार दुबे पर मनमाने ढंग से कार्य करने का आरोप लगाया. इस संबंध में जिप उपाध्यक्ष अमित कुमार राय बताया कि मामले से डीएम को अवगत करा दिया गया है और दवा फेंके जाने के मामले में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. वहीं, बीडीओ संजय कुमार राय बताया कि जांच रिपोर्ट डीएम साहब को भेजी जा रही है. निर्देशानुसार आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.
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