फिर पनपेगा दशकों से बंद मेहसी का पर्ल बटन उद्योग, सैकड़ों लोगों को मिलेगा रोजगार

मोतिहारी : कई दशक से अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहा मेहसी का बटन उद्योग फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौटेगा. डीएम शीर्षत कपिल अशोक के निर्देश पर अधिकारियों की पूरी टीम काम को अंतिम रूप में देने में जुट गयी है. मेहसी मेन व बथना में 47-47 यानी कुल 94 मशीनें लगायी जाएंगी, जिसपर करीब छह करोड़ रुपये खर्च होंगे. प्रतिदिन करीब छह लाख बटन का उत्पादन होगा.

By Prabhat Khabar News Desk | September 15, 2020 3:46 AM

मोतिहारी : कई दशक से अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहा मेहसी का बटन उद्योग फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौटेगा. डीएम शीर्षत कपिल अशोक के निर्देश पर अधिकारियों की पूरी टीम काम को अंतिम रूप में देने में जुट गयी है. मेहसी मेन व बथना में 47-47 यानी कुल 94 मशीनें लगायी जाएंगी, जिसपर करीब छह करोड़ रुपये खर्च होंगे. प्रतिदिन करीब छह लाख बटन का उत्पादन होगा.

दिल्ली सहित देश के कई इलाकों में है मांग

मुख्यमंत्री सूक्ष्म लघु उद्योग क्लस्टर योजना से जिला उद्योग विभाग ने इसकी स्वीकृति दे दी है. मेहसी शीप उद्योग द्वारा उत्पादित बटन की मांग देश की राजधानी दिल्ली, हरियाणा, मुंबई सहित कई महानगरों में है. उद्योगों के चालू होने से मेहसी की एक तरफ जहां पुरानी पहचान लौटेगी तो वहीं दूसरी तरफ एक नया बजार फिर से स्थापित होगा, जिससे आम लोगों की जिंदगी बेहतर होगी.

मेहसी बटन उद्योग का इतिहास

बताया जाता है कि मेहसी में पर्ल बटन उद्योग, पूरे देश में अपनी तरह का एक मात्र उद्योग है, जिसने दुनिया में प्रसिद्धि अर्जित की थी. मेहसी में एक छोटा ग्रामीण बाजार है, जो मेहसी रेलवे स्टेशन के करीब 48 किमी दूरी पर है. इस उद्योग ने अपनी उत्पत्ति स्कूलों के एक उद्यमी सब-इंस्पेक्टर को दे दी, जो मेहसी के भुलावान लाल ने 1905 में सिकरहना नदी में पाए गए ऑयस्टर से बटनों का निर्माण शुरू किया था. स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने के विचार ने उन्हें ऐसे बटनों के निर्माण के लिए प्रेरित किया.

कभी चलती थी 160 फैक्ट्रियां

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मेहसी प्रखंड के 13 पंचायतों में 160 बटन फैक्ट्रियां फैल गईं, जो आसानी से चल रही थीं. बटनों का उत्पादन विभिन्न प्रकार के प्रति वर्ष लगभग 24 लाख सकल रहा है. गुणवत्ता तीन प्रकार की थी बड़ी, मध्यम और छोटी, कोटिंग के अलावा सभी खरीदों के लिए थी. इस कुटीर उद्योग में 10,000 कारीगर और मजदूर नियोजित थे. इसने अतिरिक्त श्रमिकों को भी नियोजित किया जो खराब मोती को उपयोग लायक बनाया, जिसे सजावटी फर्श में किया जाता है. बच्चों और महिलाओं को बटन पेपर शीट चिपकाने और पैकिंग खरीद के लिए छोटे पेपर बॉक्स तैयार करने के लिए भी नियोजित किया गया था

posted by ashish jha

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