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Menstrual Hygiene Day: पीरियड लीव हर महिला का अधिकार, जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर्स

Menstrual Hygiene Day: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट के मुताबिक, 15-24 साल की उम्र की करीब 50 फीसदी महिलाएं आज भी पीरियड्स के दिनों में सेनेटरी नैपकिन की जगह कपड़े का इस्तेमाल करती हैं.

जूही स्मिता,पटना. भारत में सबसे पहले बिहार में 1992 में लालू प्रसाद यादव की सरकार ने महिलाओं की 32 दिन की हड़ताल के बाद सरकारी क्षेत्रों में मेंस्ट्रुअल लीव की व्यवस्था की. वर्ष 2017 में निजी क्षेत्र में मुंबई की डिजिटल मीडिया कंपनी कल्चर में एक दिन की पीरियड्स लीव की शुरुआत की. इसके बाद मातृभूमि, फ्लाइ माय विज, जोमेटो, स्वीगी आदि कंपनियों ने भी पीरियड्स लीव को मंजूरी दी. पिछले साल पूरे देश में पीरियड लीव लागू करने को लेकर बहस छीड़ी हुई थी कि क्या ऐसी छुट्टी देना सभी संस्थानों, प्रतिष्ठानों, कंपनियों को मंजूर होगा? और यह सवाल आज भी यथार्थ है. 

मेन्स्ट्रूएशन बेनिफिट बिल 2017

देश में पहली बार अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेस के सांसद निनॉन्ग एरिंग ने पीरियड्स लीव के लिए मेन्स्ट्रूएशन बेनिफिट बिल 2017का प्रस्ताव रखा. इसमें कहा गया कि सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाली महिलाओं को दो दिन पेड पीरियड लीव दी जाये. बिल अभी भी समिति के पास है.

देश में दोनों मांग और विरोध की बातें हो रही

उत्तर प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडू, गोवा आदि राज्यों के संगठन परीरियड्स लीव की मांग कर रहे हैं. नवंबर 2020 में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकीर को निर्णय का आदेश दिया था लेकिन इस पर कुछ भी निर्णय नहीं लिया गया. कुछ महिलाएं इसके पक्ष में है तो कुछ इसके विपक्ष में. उनका कहना है कि आज पुरुष और महिलाओं के बीच कोई अंतर नहीं रहा गया है. बराबरी के अधिकारों की बात होती है ऐसे में पीरियड्स लिव क्या जरूरत है. वहीं कुछ का कहना है कि यह हमारा अधिकार होने के साथ-साथ महिलाओं को इसकी सुविधा मिलना उनका हक.

क्या कहता है सर्वेक्षण

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशत एक शोध के अनुसार 32,748 में से 14 प्रतिशत महिलाओं ने पीरियड्स में अवकाश लिया. 80 प्रतिशत ने छुट्टी का सही कारण छिपाया. 68 प्रतिशत ने कहा कि वे इस दौरान कार्य में लचीला विकल्प चाहती हैं. 31 फीसदी ने इस दौरान बेमन से कार्य किया.

क्या कहते हैं डॉक्टर्स

  • पीरियड्स लिव हर वर्किंग वीमेंन का हक है. पीरियड्स के दौरान महिलाओं का मेंटल स्टेटस काफी अलग रहता है. पांच दिनों तक होने वाले पीरियड्स में रेस्ट करना बेहद जरूरी होता है. इस दौरान फिजिकल और मेंटल स्ट्रेस नहीं होना चाहिए. लिव की वजह से महिलाएं को उन दिनों में चेंज करने की समस्या के बारे में सोचना नहीं होगा. एक्टिविटी कम होगी तो ब्लड लॉस भी कम होगा. इसके साथ ही वर्क प्लेस पर होने वाला स्ट्रेस भी कम होगा. इससे वे ना सिर्फ फिजिकली बल्कि मेंटली भी काफी आराम मिलेगा. –डॉ मनोज कुमार सिन्हा,मेडिकल सुप्रीटेनडेंट,गार्डिनर हॉस्पिटल

  • नीजी और प्राइवेट दोनों संस्थानों में महिलाओं के लिए पीरियड लीव का प्रावधान होना चाहिए. हर महिलओं के लिए पीरियड्स में होने वाले ब्लड लॉस उनके फिजिकल स्ट्रक्चर पर निर्भर करता है. किसी को हेवी फ्लो तो किसी को नॉर्मल पीरियड्स होता हैं. ऐसे में पीरियड्स के दौरान फिजिकल व मेंटल स्ट्रेस होता है. पीरियड्स के दौरान चिढ़ापन, मूड स्विंग, वजन बढ़ना, ब्लोटिंग, बॉडी पेन, कमर में दर्द आदि की शिकायत होती है. इसकी वजह प्रोजेसटीरोन नामक हॉर्मोन की कमी है. ऐसे में उन्हें एक दिन के रेस्ट से आराम महसूस होगा और स्ट्रेस भी नहीं होगा. –डॉ मीना सामंत, स्त्री रोग विशेषज्ञ, कुर्जी हॉस्पिटल

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क्या कहती हैं महिलाएं

  • सरकारी संस्थान हो या प्राइवेट संस्थान सभी जगह काम करने वाली महिलाओं की बायोलॉजी एक ही होती है. ऐसे में पीरियड लिव सभी के लिए होना चाहिए. पीरियड के दौरान महिलाओं में दर्द और ब्लीडिंग में अंतर होता है ऐसे में यह प्रावधान आपको काफी मदद करता है. मैं खुद इस लिव का इस्तेमाल करती हूं. –रश्मि झा, जेंडर एक्सपर्ट

  • हमारे यहां इसका प्रावधान है. जिन महिलाओं को उन दिनों में परेशानी होती है उनके लिए पीरियड्स लिव बेहद जरूरी है. सिर्फ सरकारी ही नहीं सभी संस्थानों में इसका प्रावधान होना चाहिए. –सिम्पी कुमारी, नर्स पीएमसीएच

  • पीरियड्स लिव का प्रोविजन हर सेक्टर के लिए जरूरी है. प्रोफेसर हूं तो हमें यह प्रोविजन मिला हुआ है और हम इसका इस्तेमाल भी करते हैं. पीरियड्स के दौरान महिलाओं को हेल्थ, हाइजिन और सैनिटेशन का खास ख्याल रखना होता है क्योंकि इस दौरान इन्फेक्शन का खतरा भी होता है. यहां तक ही डबल्यूएचओ ने भी स्वीकारा है कि महिलाओं में प्री मेंसट्रुअल सिंड्रोम(पीएमएस) के दौरान मूड स्वींग, एग्जाइटी, हारमोनल बैलेंस में कमी आदि दिखने को मिले हैं. छुट्टी मिलने से फिजिकल और मेंटल स्ट्रेस दोनों कम होते हैं. –निधि सिंह, मगध महिला कॉलेज

  • बिहार में राबड़ी के सरकार के समय से ही सरकारी संस्थानों में पीरियड लिव दिया जा रहा है. मैं कभी-कभी इसका इस्तेमाल करती हूं. सभी सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में महिलाओं को इसका प्रावधान मिलना चाहिए. –पूजा कुमारी, एसआइ कोतवाली

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