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Merry Christmas: संत जोसेफ चर्च में माता मरियम से मांगी हर मन्नत होती पूरी, क्रिसमस होगी ये खास व्यवस्था

Merry Christmas: पटना ऐसा शहर है, जहां इसाई धर्म की जड़ें काफी पुरानी हैं. पटना ब्रिटिश आर्मी का गढ़ रहा है और उनके समय में कई चर्च और इमारतों का निर्माण भी करवाया गया. अशोक राजपथ स्थित संत जोसेफ चर्च 103 सौ साल पुराना है. वर्ष 1919 में इस चर्च की स्थापना हुई थी.

Merry Christmas: पटना ऐसा शहर है, जहां इसाई धर्म की जड़ें काफी पुरानी हैं. पटना ब्रिटिश आर्मी का गढ़ रहा है और उनके समय में कई चर्च और इमारतों का निर्माण भी करवाया गया. अशोक राजपथ स्थित संत जोसेफ चर्च 103 सौ साल पुराना है. वर्ष 1919 में इस चर्च की स्थापना हुई थी. वैसे यह चर्च काथलिक (कैथोलिक) चर्च के नाम से विख्यात है. बाद के सालों में पुराने चर्च का विस्तार हुआ और उसमें दोनों किनारे में दो गुबंद बनाया गया. यह चर्च पूरे बिहार में कैथोलिक समाज में चर्च में सबसे अहम है.चर्च में प्रवेश करते है. माता मरियम का ममतामयी मूर्ति विराजमान है, उस पर नजर पड़ती है, जो अपने खुल हृदय से विश्वासियों का स्वागत करती है. ऐसी मान्यता है कि इस पुरानी और ऐतिहासिक चर्च में मांगने पर हर मन्नत पूरी होती है.श्रद्धालु माता की मूर्ति के पास आकर प्रार्थना करते हैं और मोमबत्ती जलाते है.

चर्च के अंदर बड़ा सा हॉल है जिसके दोनों ओर खिड़कियां बनी है जिससे सूर्य की रोशनी से माता मरियम और प्रभु यीशु को प्रकाशमान करती है.चर्च की मुख्य वेदी उत्तर की ओर है, जहां महाधर्माध्यक्ष धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराते है. वेदी के सामने श्रद्धालुओं के बैठने के लिए लकड़ी की बेंच लगी है. हॉल के पूर्वी ओर पश्चिम ओर प्रभु यीशु के जीवन से संबंधित तस्वीर टंगी है. हॉल में शांति का वातारण यहां आने वाले हर श्रद्धालुओं को मानसिक शांति मिलता है.

फादर कुलदीप ने बताया कि चर्च के छत पर एक बड़ा घंटी लगा है, जो श्रद्धालुओं को चर्च में प्रार्थना के लिए आने का आमंत्रण के लिए बजाया जाता है. इसकी आवाज दूर तक गूंजती है. इसके अलावा एक छोटा घंटी है जिसे केवल मिस्सा पूजा के वक्त बजाया जाता है. मन्नत मांगने वालों में सभी धर्म के लोग शामिल होते हैं. मन्नत पूरा होने पर माता मरियम के समक्ष मोमबतियां जलाकर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.

चर्च परिसर में बिशप (धर्माध्यक्ष) हाउस है. इसकी नींव 23 सिंतबर 1849 में रखी गयी थी. चर्च के इस जमीन को बंगाल के एक जज के अनुरोध पर अनासतासियुस हार्टमैन को दिया गया था. 1852 में धर्माध्यक्ष हार्टमैन ने कलीसिया की देखरेख करने के साथ -साथ कुछ धार्मिक पुस्तकों की रचना की. 1877 में धर्माध्यक्ष के निवास का विस्तार हुआ. पूर बिहार के चर्च के मुख्य बिशप यहां निवास करते हैं. फिलहाल यहां छह पुरोहित निवास करते है. इनमें धर्माध्यक्ष आर्च बिशप सेबास्टियन,फादर जेम्स जार्ज, फादर कुलदीप, फादर एलेक्स, फादर अमल राज और फादर पीटर प्रमुख हैं.

रिपोर्टः सुबोध कुमार नंदन, पटना

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