पटना. राज्य में हर साल नवंबर महीने में आने वाले प्रवासी पक्षियों सहित देशी पक्षियों की पहचान और सुरक्षा के लिए भागलपुर स्थित बिहार के इकलौते बर्ड्स रिंगिंग स्टेशन में अब तक करीब 91 पक्षियों के पैरों में रिंग पहनाये गये हैं. प्रवासी पक्षी फरवरी के बाद लौट जाते हैं.
बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) की सहयोग से इनको रिंग पहनाने की शुरुआत नवंबर, 2020 में हुई थी. राज्य सरकार ने बीएनएचएस के साथ पांच साल के लिए करार किया है. साथ ही पांच करोड़ रुपये उपलब्ध करवाये गये हैं.
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सूत्रों का कहना है कि प्रवासी और देशी पक्षियों को रिंग पहनाकर उनके प्रवास, विकास, संख्या, उड़ान मार्ग और प्रजनन आदि का अध्ययन किया जाता है.
विश्व में प्रवासी पक्षियों के नौ मुख्य उड़ान मार्ग हैं. इनमें से सेंट्रल एशिया फ्लाइवे के अंतर्गत बिहार पड़ता है. ऐसे में बिहार में प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए राज्य कार्ययोजना तैयार की गयी है.
इस संबंध में फरवरी, 2020 में गुजरात की राजधानी गांधीनगर में 13वें प्रवासी प्रजाति संरक्षण सम्मेलन ‘सीएमएस-सीओपी 13’ का आयोजन हुआ था. इसमें करीब 130 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. इसमें प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए इन सभी देशों में आपसी समझौते किये गये थे.
राज्य सरकार की सहयोग से स्थापित भागलपुर का रिंगिंग स्टेशन बिहार का पहला और देश का चौथा स्टेशन है. इससे पहले तमिलनाडु, राजस्थान और ओडिशा में बर्ड रिंगिंग स्टेशन बनाये गये थे. राज्य के पहले बर्ड रिंगिंग स्टेशन को राज्य सरकार के सहयोग से स्थापित किया जायेगा.
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि इस परियोजना का मकसद पक्षियों का संरक्षण सहित उनके प्रवास, विकास, संख्या, उड़ान मार्ग और प्रजनन आदि का अध्ययन करना है. अब तक करीब 91 प्रवासी और विभिन्न प्रजाति के देसी पक्षियों को रिंग पहनाये गये हैं.
Posted by Ashish Jha