मिनी पितृपक्ष शुरू, पौष मास में श्राद्धकर्म की है परंपरा, गया में पहले दिन दो हजार श्रद्धालुओं ने किया पिंडदान
Gaya News बोधगया में मिनी पितृपक्ष के पहले दिन सोमवार को फल्गु नदी, देवघाट, विष्णुपद, अक्षयवट प्रेतशिला व अन्य वेदी स्थलों पर अपने पितरों की आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति के निमित्त पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण किया.
Gaya News: प्राचीन काल से मोक्षधाम, यानी गयाजी में प्रत्येक वर्ष पौष मास में आयोजित होने वाले एक मासी मिनी पितृपक्ष सोमवार से शुरू हो गया. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित देश के कई अन्य राज्यों से आये दो हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने मिनी पितृपक्ष के पहले दिन सोमवार को फल्गु नदी, देवघाट, विष्णुपद, अक्षयवट प्रेतशिला व अन्य वेदी स्थलों पर अपने पितरों की आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति के निमित्त पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण किया. श्राद्धकर्म अपने कुल पंडा के निर्देशन में संपन्न किया.
मिनी पितृपक्ष शुरू होने से विष्णुपद क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पिंडदान सामग्री, फूल माला व अन्य जरूरी सामान की दो दर्जन से अधिक दुकानें सड़क किनारे कारोबारियों द्वारा लगा दी गयी हैं. श्रद्धालु अपनी सुविधा के अनुसार जरूरतों के सामान की खरीदारी इन दुकानों से कर रहे हैं. जानकारी हो कि पौष मास में आयोजित होने वाले मिनी पितृपक्ष एक मास तक संचालित रहता है. इस दौरान देश के ठंडे प्रदेशों से सर्वाधिक श्रद्धालु यहां आकर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं. गंगा स्नान के निमित्त घरों से निकलने वाले अधिकतर श्रद्धालु आने अथवा जाने के क्रम में गयाजी आकर पिंडदान करते हैं.
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ढाई लाख पिंडदानियों के आने की उम्मीद
मणिलाल बारीक सहित पंडा समाज से जुड़े कई अन्य लोगों ने बताया कि कोरोना संक्रमण का खतरा काफी कम होने से इस बार मिनी पितृपक्ष में ढाई लाख से अधिक पिंडदानियों के आने की उम्मीद की जा रही है.
जिले की अर्थव्यवस्था में होगा सुधार
मिनी पितृपक्ष में अधिकतर श्रद्धालु पिंडदान व अन्य जरूरतों के लिए यहां ही खरीदारी करते हैं. जानकारों के अनुसार, महंगाई बढ़ने से औसतन एक श्रद्धालु पिंडदान सामग्री, पंडाजी को दक्षिणा, आवासन, भोजन यातायात पर करीब दो हजार रुपये खर्च करेंगे. यानी इस वर्ष मिनी पितृपक्ष में 20 करोड़ से अधिक के कारोबार की उम्मीद की जा रही है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha