भागलपुर: गंगा नदी में जहाज परिचालन की गतिविधियां एक बार फिर से शुरू हो गयी है. भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अनुसार मार्च तक पर्यटकों के कई जहाज कोलकाता व वाराणसी के बीच आवाजाही करेंगे. पिछले सप्ताह गंगा विलास नामक अत्याधुनिक क्रूज विदेशी पर्यटकों को लेकर कहलगांव व सुल्तानगंज पहुंचा था. लेकिन जहाज को किनारे लगाने के लिए क्रूज परिचालन कर रही टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
कहलगांव, भागलपुर व सुल्तानगंज में प्रस्तावित मिनी पोर्ट या जेटी का निर्माण नहीं होने से पर्यटकों का जहाज बीच नदी में लंगर डाल रहा है. वहीं पर्यटकों को छोटे नाव के सहारे तट तक लाया जा रहा है. जलमार्ग प्राधिकरण के अनुसार कहलगांव व सुल्तानगंज में सामुदायिक जेटी या मिनी पोर्ट बनाये जायेंगे. वहीं भागलपुर में टूरिस्ट जेटी का निर्माण होगा.
भागलपुर में प्रस्तावित जेटी के लिए राशि का आवंटन हो गया है. लेकिन भागलपुर, कहलगांव व सुल्तानगंज में गंगानदी के किनारे जमीन उपलब्ध नहीं हो रही है. प्राधिकरण की ओर से राज्य सरकार को जमीन की मांग को लेकर प्रस्ताव भी भेजा गया है. लेकिन मामला ठंडे बस्ते में है. भागलपुर जिले में तीन मिनी पोर्ट का निर्माण कार्य अटका हुआ है.
पर्यटक के अलावा माल वाहक कार्गो जहाज के फेरे पटना व कोलकाता के बीच लगेंगे. जनवरी में वाराणसी व पटना होकर पर्यटकों का जहाज कोलकाता व बांग्लादेश होकर असम तक जायेगा. जलमार्ग प्राधिकरण के अनुसार पर्यटकों के आने से भागलपुर के लोगों की आय भी बढ़ेगी. नदी किनारे भागलपुर सिल्क व कतरनी जैसे प्रोडक्ट को पर्यटकों को उपलब्ध कराया जायेगा.
इस समय गंगा नदी में जहाज के परिचालन के लिए जलस्तर ठीक है. जहाज परिचालन के लिए कम से कम तीन मीटर गहराई की जरूरत है. कहलगांव से लेकर भागलपुर, सुल्तानगंज व मुंगेर तक जलस्तर 15 से 60 मीटर गहरा है. वहीं विक्रमशिला सेतु होकर बड़े जहाज को निकलने में परेशानी नहीं हो रही है. बाढ़ के समय जलस्तर बढ़ने से नदी व सेतु के बीच का गैप कम हो जाता है. केंद्र सरकार ने कोलकाता के हल्दिया पोर्ट से साहिबगंज, भागलपुर, पटना, वाराणसी व प्रयागराज तक गंगानदी को राष्ट्रीय अंतरदेशीय जलमार्ग संख्या एक घोषित किया है.