बिहार के लिए बड़ी खुशखबरी! ग्लूकोनाइट, क्रोमियम, निकेल, मैग्नेटाइट, बॉक्साइट का इस साल से शुरू होगा खनन

बिहार में ग्लूकोनाइट (पोटाश), क्रोमियम, निकेल सहित प्लैटिनम ग्रुप ऑफ एलिमेंट, मैग्नेटाइट (आयरन), बॉक्साइट और दुर्लभ मृदा धातुओं का खनन इसी साल शुरू होगा. इसके लिए केंद्रीय खान एवं कोयला मंत्रालय ने पिछले दिनों खनन के लिए सात ब्लॉक का आवंटन राज्य सरकार को किया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2023 5:04 AM
an image

बिहार में ग्लूकोनाइट (पोटाश), क्रोमियम, निकेल सहित प्लैटिनम ग्रुप ऑफ एलिमेंट, मैग्नेटाइट (आयरन), बॉक्साइट और दुर्लभ मृदा धातुओं का खनन इसी साल शुरू होगा. इसके लिए केंद्रीय खान एवं कोयला मंत्रालय ने पिछले दिनों खनन के लिए सात ब्लॉक का आवंटन राज्य सरकार को किया है. इन सभी में खनन की मंजूरी का प्रस्ताव इसी महीने खान एवं भूतत्व विभाग की तरफ से राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में पेश किया जायेगा. इसमें खनिज तत्वों से राज्य सरकार और खनन एजेंसी को होने वाले आय के संबंध में भी दिशा-निर्देश तय होगा. राज्य मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिलते ही चार जिलों में मौजूद खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. इसमें रोहतास, गया, औरंगाबाद और जमुई शामिल हैं. सरकार इसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिए ‘एसबीआई कैप्स’ की सेवा ले रही है.

रोहतास में 25 वर्ग किमी में ग्लूकोनाइट मिला

सूत्रों के अनुसार खान एवं भूतत्व विभाग ने एसबीआई कैप्स- निवेश बैंक और परियोजना सलाहकार से एक विस्तृत रिपोर्ट की मांग की है. रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकार सभी जिलों में करीब 20 हजार करोड़ रुपये के ग्लूकोनाइट और लौह अयस्क के भंडार को पट्टे के आधार पर खनन की अनुमति देने की प्रक्रिया शुरू करेगी. इससे पहले सर्वे में रोहतास जिले में करीब 25 वर्ग किमी इलाके में ग्लूकोनाइट मिला था. इसमें जिले के नावाडीह प्रखंड में 10 वर्ग किमी, टीपा में आठ किमी और शाहपुर प्रखंड में सात किमी का इलाका शामिल है. इसके साथ ही गया और औरंगाबाद जिले की सीमा पर मदनपुर प्रखंड के डेंजना और आसपास के इलाकों में करीब आठ वर्ग किमी क्षेत्र में निकेल और क्रोमियम पाया गया है.

इन उद्योगों की लगने की संभावना

जानकारों के अनुसार ग्लूकोनाइट (पोटाश) का बड़े पैमाने पर औषधि व रासायनिक खाद में इस्तेमाल होता है. निकेल का उपयोग लोहे व अन्य धातुओं पर परत चढ़ाकर उन्हें जंग लगने से बचाने के लिए किया जाता है. यह एक लौह चुम्बकत्व रखने वाला तत्व है और इससे बने चुम्बक कई उद्योगों में इस्तेमाल होते हैं. इसके अलावा निकेल को इस्पात में मिलाकर उसे ””स्टेनलेस”” (जंग-रोधक) बनाया जाता है, जबकि क्रोमियम का उपयोग मिश्रधातु बनाने में किया जाता है. स्टील को अधिक कठोर बनाने, चर्मशोधन में यह काम आता है. मानव शरीर में ग्लूकोज को नियंत्रित करने में भी यह कारगर है. शीशे को हरा रंग देने, क्रोम प्लेटिंग समेत अन्य कार्यों में यह प्रभावी है. इसका उपयोग तेल उद्योग में उत्प्रेरक, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और जंग अवरोधक के रूप में किया जाता है.

क्या कहते हैं अधिकारी

खान एवं भूतत्व विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा ने कहा है कि राज्य में बहुत जल्द खनिज तत्वों का खनन शुरू होगा. इसके लिए केंद्र सरकार ने सात ब्लॉक आवंटित किये हैं. बिहार से झारखंड अलग होने के बाद पहली बार राज्य में खनिजों का खनन शुरू होगा. इससे राज्य सरकार का राजस्व बढ़ेगा साथ ही राज्य में रोजी-रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे.

Exit mobile version