भागलपुर: गंगा-कोसी दियारा की खाली जमीन पर लगी कलाई लहराने लगी है. बीस दिन के अंदर फसल खेत से किसानों के घरों तक पहुंचने वाला है. जो समय शेष है, किसान इसे विशेष मान रहे है. क्योंकि इसी दौरान फसल पर अपराधियों की नजर लग सकती है. हालांकि पिछले कुछ साल में कलाई फसल लूटने की वारदात में कमी आयी है. इसके पीछे कई वजह है.
जिले में सबसे ज्यादा कलाई पीरपैंती दियारा में होती है. खास कर पीरपैंती-कहलगांव का सिमाई इलाका जिसमें रानी दियारा प्रमुख है. यहां कलाई की फसल सबसे ज्यादा होती है. जानकार कहते हैं कि घोघा तीनटंगा दियारा इलाके में काफी जमीन है, जिसका मालिक कोई नहीं है. बताया जाता है की इस जमीन का मालिक बंगाली परिवार हुआ करते थे. अस्सी के दशक में कलाई को लेकर चलने वाली गोली के डर से जमीन पर बंगाली परिवार ने जाना छोड़ दिया. परिणाम जमीन पर अपराधियों ने कब्जा हो गया. अब अपराधी किसान को जमीन दे देते है. वो भी कलाई की फसल लगा देते है.
यहां उगे कलाई की फसल का 70 प्रतिशत हिस्सा लेकर अपराधी निकल जाते है. वहीं सबौर लैलख शंकरपुर इलाके में भी काफी जमीन है. यह जमीन किसी फौजी की बतायी जाती है. इस जमीन पर अपना दावा करने फौजी के परिवार नहीं आते है. परिणाम जमीन पर अपराधियों का कब्जा है . दियारा इलाका में जमीन होने की वजह से इस पर कलाई होती है. जिस पर कब्जा अपराधियों का होता है .
अस्सी के दशक में खास कर पीरपैंती दियारा की कलाई पर कुख्यात कुल्हाड़ी की लगी रहती थी. पकी फसल को काट कर ये आराम से लेकर चला जाता था. इसके डर से किसान चुपचाप रहते थे .दियारा के अपराधियों का जीवन कलाई पर ही निर्भर रहता था. इसके आतंक को खत्म करने के लिए एसटीएफ को लगाया गया. इसके बाद पुलिस टीम ने कुल्हाड़ी का इनकाउंटर किया था. इसकी मौत के बाद पीरपैंती के दियारा में जो किसान थे, वो वापस अपनी जमीन पर लौटे. वहीं दियारा इलाके में काफी जमीन जमीनदारों की भी है. अब इस जमीन पर दावा करने वाला कोई नहीं है .
बिहपुर, खरीक, इस्मालइपुर, रंगरा, शंकरपुर , छोटी अलालपुर, राघोपुर, बहततरा, परबत्ता, साहबु परबत्ता, नाथनगर समेत दियारा कछार के इलाके में कलाई फसल होती है .
दियारा इलाके में रहने वाले किसान सुरक्षित रहे, इसे लेकर कई निर्देश पूर्व में पुलिस मुख्यालय से लेकर जिला प्रशासन को मिला था. इसमें कहा गया था कि घुड़सवार दस्ता से लगातार दियारा इलाके में गश्ती की जायेगी. खास कर जब फसल किसान काटने के लिए अपने खेत में जायेंगे उस वक्त . लेकिन यह दस्ता केवल विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव के दौरान ही दियारा एवं ग्रामीण इलाके में दिखता है. वहीं जल थाना की भी बात कहीं गयी थी. जिस थाना क्षेत्र में दियारा इलाका आता है, वहां की गश्ती दल इन इलाकों में नहीं जाता है. इससे किसान भयमुक्त नहीं हो पाते है .