बिहार में मिशन 60 के बाद अब स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीण अस्पतालों को सुदृढ़ करने की योजना पर अमल शुरू कर दिया है. विभाग की ओर से ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों को हर प्रकार से मरीजों के लिए तैयार किया जा रहा है. इन अस्पतालों में ऐसी व्यवस्था होगी कि किसी भी मरीज को आवश्यकता पड़ने पर ही बड़े अस्पतालों में रेफर किया जा सकेगा. विभाग ने पहले चरण में जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज से पास करने वाले जूनियर डॉक्टरों की तीन साल के लिए अनिवार्य पोस्टिंग कर दी है. अब इन विशेषज्ञ चिकित्सकों को इलाज करने के लिए उनके हाथ में वे सभी आवश्यक उपकरण और मशीन उपलब्ध कराने को हरी झंडी मिल गयी है , जिससे चिकित्सक बेफिक्र होकर इलाज कर सकें.
हर अस्पताल के लिए अलग-अलग खाका तैयार
स्वास्थ्य विभाग की ओर से विशेषज्ञों की टीम से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अनुमंडलीय अस्पतालों और जिला अस्पतालों में इलाज के लिए आवश्यक उपकरणों (इइएल) की सूची तैयार की गयी है. इसमें यह व्यवस्था की गयी है कि हर स्तर के अस्पताल में आवश्यक सभी प्रकार के उपकरण उपलब्ध करा दिया जाये, जिससे कि मरीजों का इलाज सुगमता से मिल सके. इसके लिए जिला अस्पतालों में 30 प्रकार की सर्विस को मजबूत करने के लिए 271 प्रकार के उपकरणों की व्यवस्था की गयी है, जबकि अनुमंडलीय अस्पतालों में 19 प्रकार की सर्विसेज के लिए 227 प्रकार के उपकरणों की व्यवस्था होगी. इसी तरह से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मिलने वाली 10 प्रकार की सेवाओं के लिए 107 प्रकार के उपकरण उपलब्ध कराये जायेंगे, जिससे डॉक्टरों को मरीजों के इलाज में परेशानी नहीं हो.
अस्पताल में होंगे जरूरी उपकरण
आवश्यक उपकरणों की लिस्ट तैयार करने वाली कोर कमेटी के अध्यक्ष सह निदेशक प्रमुख (रोग नियंत्रण) नवीन चंद्र सहाय वर्मा ने बताया कि अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के मार्गदर्शन में सभी आवश्यक उपकरणों की सूची तैयार की गयी है. इसके आधार पर सभी अस्पतालों में उपकरणों की आपूर्ति की जायेगी. उन्होंने बताया कि अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक लाइफ स्टाइल बीमारी ब्लड शुगर की जांच करने की व्यवस्था होगी. इसी प्रकार से मल्टी पारामीटर जैसे उपकरण की आपूर्ति की जायेगी जिससे कि हार्ट अटैक जैसी बीमारी की रूटीन जांच की जा सकेगी.
पीएचसी पर होगी यह सुविधा
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में न सिर्फ गर्भवती के लिए लेबर, डिलिवरी और रिकवरी के लिए उपकरणों की व्यवस्था होगी ,बल्कि नवजात की स्थिति गंभीर होने पर उसके स्थिर करने वाले उपकरण भी लगाये जायेंगे. जिला अस्पतालों में डायलिसिस के उपकरण सहित नेत्ररोग, इएनटी, नन कम्युनिकेबल बीमारी और कुपोषण वाले बच्चों के पुनर्वास की व्यवस्था की जायेगी.