‘मिथिला मखाना’ को मिला जीआई टैग, अब ‘मिथिला रेहू’ के लिए आवेदन करेगी बिहार सरकार

मखाना को केंद्र सरकार ने मिथिला मखाना का जीआई टैग से नवाजा है. मिथिला के लोग लंबे समय से मखाना की जीआई टैगिंग मिथिला मखाना के नाम से करने की मांग कर रहे थे. इधर, बिहार सरकार ने मिथिला की मशहूर रोहू मछली को भी जीआई टैग दिलाने के लिए केंद्र से संपर्क करने का फैसला किया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2022 11:04 AM

पटना. बिहार के मिथिला इलाका को एक नयी पहचान मिली है. मखाना को केंद्र सरकार ने मिथिला मखाना का जीआई टैग से नवाजा है. मिथिला के लोग लंबे समय से मखाना की जीआई टैगिंग मिथिला मखाना के नाम से करने की मांग कर रहे थे. इधर, बिहार सरकार ने मिथिला की मशहूर रोहू मछली को भी जीआई टैग दिलाने के लिए केंद्र से संपर्क करने का फैसला किया है. राज्य सरकार ने मिथिला क्षेत्र की रोहू मछली के अध्ययन और रिपोर्ट तैयार करने के लिए दो विशेषज्ञों को नियुक्त किया है. बिहार के ‘कतरनी चावल’, ‘जरदालु आम’, ‘शाही लीची’ और ‘मगही पान’ को अब तक जीआई टैग प्राप्त है.

लंबे संघर्ष के बाद मिला जीआई टैग
'मिथिला मखाना' को मिला जीआई टैग, अब 'मिथिला रेहू' के लिए आवेदन करेगी बिहार सरकार 2

मिथिला की पहचान कई नामों से है, लेकिन अब इनमें मखाना का अपना एक अलग स्थान हो गया है. लंबे समय से मिथिला के लोग मखाना की जीआई की मांग कर रहे थे. बीच में बिहार मखाना के नाम के प्रस्ताव पर लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई थी. मखाना को ‘मिथिला मखाना’ के नाम से ही जीआई टैग मिला है. भारत सरकार के वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा ट्वीट कर कहा है कि जीआई टैग से पंजीकृत हुआ मिथिला मखाना, किसानों को मिलेगा लाभ और आसान होगा कमाना. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जैसे ही मिथिला मखाना से जीआई टैग मिलने की सूचना दी तो लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई.

मखाना किसानों को मिलेगी मजबूती

केंद्र सरकार ने बिहार का मिथिला मखाना को जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग दे दिया है. इससे मखाना उत्पादकों को अब उनके उत्पाद का और भी बेहतर दाम मिल पाएगा. मिथिला का मखाना किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ रोजगार उपलब्ध करा रहा है. मिथिला का मखाना अपने स्वाद, पोषक तत्व और प्राकृतिक रूप से उगाए जाने के लिए प्रख्यात है. भारत के 90% मखानों का उत्पादन बिहार में ही होता है. देश से लेकर विदेश तक के बाजार में इसकी मांग है.

अब मिथिला की रोहू मछली को लेकर प्रयास तेज

इधर, मखाना के बाद अब बिहार सरकार ने मिथिला की मशहूर रोहू मछली को जीआई टैग दिलाने के लिए केंद्र से संपर्क करने का फैसला किया है. राज्य सरकार ने मिथिला क्षेत्र की रोहू मछली के अध्ययन और रिपोर्ट तैयार करने के लिए दो विशेषज्ञों को नियुक्त किया है. ‘कार्प की सबसे विशिष्ट प्रजातियों में से एक मिथिला क्षेत्र की रोहू मछली विशेष रूप से दरभंगा और मधुबनी जिलों में अपने स्वाद के लिए जानी जाती है. मछली पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने और अध्ययन करने के लिए दो विशेषज्ञों को लगाया है. विस्तृत रिपोर्ट तैयार होने के बाद हम मिथिला की रोहू मछली के लिए जीआई टैग देने के लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय से संपर्क करेंगे. मत्स्य विभाग के निदेश अहमद ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि इस क्षेत्र की रोहू मछली को जीआई टैग मिलेगा. इससे क्षेत्र में रोहू के उत्पादन में लगे लोगों को फायदा होगा, क्योंकि उन्हें एक वैश्विक बाजार और एक नई पहचान मिलेगी. इसका सीधा असर उनकी आय पर पड़ेगा.

क्‍या होता है जीआई टैग

जीआई टैग एक उत्पाद को एक विशेष क्षेत्र से उत्पन्न होने की पहचान करता है. मिथिला क्षेत्र में बिहार, झारखंड और नेपाल के पूर्वी तराई के जिले के कुछ हिस्से शामिल हैं. जीआई टैग से पहले किसी भी सामान की गुणवत्ता, उसकी क्‍वालिटी और पैदावार की अच्छे से जांच की जाती है. यह तय किया जाता है कि उस खास वस्तु की सबसे अधिक और वास्तविक पैदावार निर्धारित राज्य की ही है. इसके साथ ही यह भी तय किए जाना जरूरी होता है कि भौगोलिक स्थिति का उसके उत्‍पादन में कितना योगदान है. वर्ल्‍ड इंटलैक्‍चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है जिसमें किसी प्रॉडक्‍ट को विशेष भौगोलि‍क पहचान दी जाती है. भारत में वाणिज्‍य मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्‍ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड की तरफ से जीआई टैग दिया जाता है.

जीआई टैग मिलने से मत्स्य पालन से जुड़े लोगों को होगा फायदा

मिथिला मखाना के जीआई टैग के लिए संघर्ष करनेवाले रजनीकांत पाठक ने कहा कि मखाना की तरह इस क्षेत्र की रोहू मछली का स्वाद अन्य राज्यों में पाई जाने वाली रोहू की प्रजातियों से अलग है. मुझे विश्वास है कि मिथिला की रोहू मछली को जीआई टैग मिलेगा. यह मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा एक अच्छी पहल है. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर के एसोसिएट प्रोफेसर (एक्वाकल्चर) डॉ. शिवेंद्र कुमार ने कहा कि यह अच्छा है कि राज्य सरकार के मत्स्य पालन विभाग ने यह पहल की है और इस उद्देश्य के लिए विशेषज्ञों को लगाया है. इसके लिए गहन शोध कार्य की आवश्यकता है और हमें निष्कर्षों की प्रतीक्षा करनी चाहिए. यदि मिथिला (दरभंगा और मधुबनी) की रोहू मछली जीआई टैग प्राप्त करने में सफल हो जाती है तो यह क्षेत्र में इसके उत्पादन में लगे लोगों के लिए अच्छा होगा.

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