पटना. मिथिलांचल में कोजगरा से पहले का दिन हिंदू धर्म के सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है. अश्विन महीने में पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. देवी लक्ष्मी धन, खुशी और समृद्धि की देवी है और ऐसा माना जाता है कि अश्विन पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों को प्रचुर मात्रा में धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. आचार्य राकेश झा ने बताया कि आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को अतिपुण्यकारी सर्वार्थ सिद्धि योग का सुयोग बन रहा है. इसके अलावे इस दिन बव करण, ध्रुव योग तथा रविवार का दिन होने से इसकी महत्ता और बढ़ गयी है.
इस दिन प्रदोष बेला में माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना करने से सुख-समृद्धि, धन लाभ एवं ऐश्वर्य में वृद्धि होती हैं. मिथिलांचल में इस दिन नवविवाहित वर के घर में कोजागरा का पर्व मनाया जायेगा. इसमें वधू पक्ष से कौरी, वस्त्र, पान, मखाना, फल, मिठाई, पाग आदि का संदेश आता है. इस दिन सनातन धर्मावलंबी पवित्रता से निर्मित खीर को पूरी रात चंद्रमा की अमृतोमय चांदनी में छत पर रखते है तथा भगवती लक्ष्मी के समक्ष घी का दीपक जलाते है. इस दिन शुभकार्य, गरीब-निर्धन की सेवा, दूध-दही, चावल आदि का दान का पुण्यफल लंबे समय तक बना रहता है.
पंडित झा ने बताया कि आश्विन पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा देवों के चतुर्मास के शयनकाल का अंतिम चरण होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसलिए सुख, सौभाग्य, आयु, आरोग्य और धन-संपदा की प्राप्ति के लिए इस पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है.
पंडित गजाधर ने बताया कि पूजा अनुष्ठानों को करने का सबसे शुभ समय मध्यरात्रि काल होता है. पूजा का प्रमुख और महत्वपूर्णपहलू रात में जगराता करना होता है यानी भक्तों को मध्यरात्रि जागरण करने की आवश्यकता होती है. उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कोजगरी पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी जब धरती पर विचरण करती है तो को जाग्रत शब्द का उच्चारण करती है. इसका अर्थ होता है कौन जाग रहा है वो देखती हैं कि रात्रि में पृथ्वीपर कौन जाग रहा है, जो लोग माता लक्ष्मी की पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं उनके घर मां लक्ष्मी अवश्य जाती है.