पटना. पत्रकार नगर थाने की पुलिस ने एक साइबर फ्रॉड गिरोह के सरगना को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार साइबर शातिर झारखंड के धनबाद जिले के झरिया थाना क्षेत्र के पोद्दारपाड़ा निवासी मधु मोदक का बेटा आनंद मोदक है. यह गिरोह फोटो कॉपी और साइबर कैफे से लोगों का पहचान पत्र खरीद कर करोड़ों रुपये की ठगी करता है. गिरफ्तार शातिर के पास से पुलिस ने दो लाख रुपये कैश, विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड, पासबुक और कई मोबाइल बरामद किये गये हैं. इसके अलावा बाइक भी बरामद की गयी है.
थानाध्यक्ष मनोरंजन भारती ने बताया कि गश्ती के दौरान काली मंदिर रोड स्थित एक ज्वेलरी शॉप के पास संदिग्ध युवक बैग लेकर बाइक पर बैठा था. पुलिस को उतरता देख बाइक स्टार्ट करने लगा. शक होने पर उसे दौड़ा कर पकड़ा गया और भागने का कारण पूछा गया, तो वह कुछ नहीं बताया. इसके बाद संदिग्ध युवक को थाने लेकर आया गया. जब बैग की तलाशी ली गयी, तो उसमें से दो लाख कैश के अलावा विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड व पासबुक मिलीं. सख्ती से पूछताछ में बताया कि वह एक साइबर फ्रॉड गिरोह का सक्रिय सदस्य है और एटीएम से ठगी का पैसा निकाल कर अगमकुआं के भागवत नगर स्थित फ्लैट जा रहा था, जहां उसके दो अन्य शातिर मौजूद थे. पुलिस ने फ्लैट में छापेमारी की, लेकिन तब तक वहां से दोनों शातिर सामान लेकर फरार हो गये. चारों ओर सामान बिखरा हुआ था.
थानाध्यक्ष ने बताया कि इस गिरोह के शाातिरों का ठगी का तरीका अलग था. वे फोटो कॉपी, साइबर कैफे व अन्य डिजिटल दुकानदारों व डिजिटल वर्क करने वाले लोगों से आधार कार्ड व पैन कार्ड की फोटो कॉपी खरीदते थे. पूछताछ में मोदक ने बताया कि आधार कार्ड की फोटो कॉपी 100 रुपये और पैन कार्ड की फोटो कॉपी 200 रुपये खरीदता था. इसके बाद उससे पूरा डिटेल निकाल कर संबंधित व्यक्ति को फोन करता है. केवाइसी, खाते में सुधार व अन्य जरूरी काम को लेकर झांसा देता है. जब आमलोगों को शक होता है, तो उसे दूर करने के लिए उनका आधार कार्ड और पैन कार्ड का नंबर भी बता देता है. इसके बाद उन्हें लिंक भेजकर उनके खातों से पैसे की निकासी कर लेता है.
मिली जानकारी के अनुसार जब पुलिस ने शातिर का मोबाइल चेक किया और मैसेज देखा, तो दंग रह गयी. थानाध्यक्ष ने बताया कि हर दिन तीन से चार लाख रुपये का बैंक ट्रांजेक्शन मिला है. पूछने पर बताया कि ठगी का पूरा खेल नालंदा में होता है और ठगी का पैसा निकासी करने के लिए पटना के अगमकुआं में फ्लैट लेकर तीन लोगों को रखा गया है. तीनों का काम बस पैसे की निकासी कर दूसरे खातों में डालना होता है.
आनंद मोदक के पिता ठेला चलाते हैं. वहां से पढ़ाई करने के लिए तीन साल पहले पटना आया था. उस दौरान नालंदा का दीपक (सरगना) भी पटना में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था. दोनों को पैसों की किल्लत हुई, जिसके बाद दीपक ने साइबर फ्रॉड के बारे में बताया और आनंद मोदक को अपने गिरोह में शामिल कर लिया. इसके बाद दोनों साइबर ठगी का खेल शुरू कर दिया.
पुलिस ने एक-एक कर सारे मोबाइल फोन को खुलवाया और जब जांच की, तो उसने ठगी के पैसों से अय्याशी करते गिरोह के शातिरों की तस्वीरें दिखीं. पार्टी करते गिरोह की पूरी तस्वीर दिखी है. पूछताछ में पता चला कि गिरोह के पास महंगी कारों का जखीरा है. मोबाइल फोन में अलग-अलग कंपनियों के कई कार साइबर फ्रॉड के पास दिखे है. घूमने के लिए गिरोह हर महीने कोलकाता, नेपाल समेत अन्य दूसरे राज्यों में जाते हैं. वहीं, गिरोह का शातिर ठगी के पैसा से बिहार, झारखंड व अन्य राज्यों में संपत्ति भी बनायी है.
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पूछताछ में आनंद मोदक ने बताया कि उसकी ट्रेनिंग कतरीसराय में हुई है और आकाश ने यह ट्रेनिंग दी थी, जिसे एक अगस्त को तेलांगना पुलिस ने पत्रकार नगर से 33 लाख रुपये के साथ पकड़ा था. वह डीलरशिप और फ्रेंचाइजी दिलाने के नाम पर ठगी करता था. आकाश ने ही मोदक को पटना में फ्लैट दिया और उसे अपने गैंग के अन्य सदस्यों से परिचय करवाया.