बिहार के इन छह जिलों में जल्द तैयार होंगे मॉडल पालना घर, कामकाजी महिलाओं को मिलेगी सुविधा

पालना घरों में छह महीने से लेकर पांच साल के बच्चों को रखने की सुविधा है. बच्चों की देखरेख के लिए एक क्रेच वर्कर और एक क्रेच हेल्पर हैं. बच्चों को खाना या दूध देना है, तो इंडक्शन और केटल की सुविधा भी है. पालना घर सुबह 9:30 बजे से लेकर शाम 6:30 बजे तक खुले रहते हैं

By Prabhat Khabar News Desk | May 11, 2023 2:26 AM

पटना. महिला एवं बाल विकास निगम की ओर से छह और जिलों में मॉडल पालना घर बनाने का काम जारी है. इसके लिए निगम ने खगड़िया, भोजपुर, मुंगेर, समस्तीपुर, नालंदा, वैशाली और मुजफ्फरपुर जिले को 8.06 लाख रुपये भेजे हैं. फिलहाल खगड़िया में मॉडल पालना घर बन कर तैयार हो चुका है, जिसका उद्घाटन सीएम नीतीश कुमार ने किया है. जल्द अन्य छह जिलों में मॉडल पालना घर बनाकर तैयार हो जायेंगे.

कामकाजी महिलाओं को मिल रहा लाभ 

बता दें कि महिला एवं बाल विकास निगम की ओर से शहर में बनाये गये पालना घर का लाभ कामकाजी महिलाओं को मिल रहा है. बिहार सरकार नौकरी में महिलाओं को आरक्षण दे रही है, जिसके बाद सचिवालय और अन्य कार्यालयों में महिला कर्मियों की संख्या काफी बढ़ी है. ऐसे में उन महिलाएं के छोटे बच्चों को रखना और नौकरी करना दोनों मुश्किल होता है. विभिन्न जगहों पर बने पालना घर उनके लिए वरदान साबित हो रहे हैं. यहां पर बच्चों को खेलने और पढ़ने दोनों की व्यवस्था है.

पटना में इन जगहोंं पर बनाये गये हैं पालना घर

पंचायती राज विभाग (विकास भवन), समाज कल्याण विभाग, कारा विभाग और सरदार पटेल परिसर में पालना घर स्थित हैं. पहला पंचायती राज विभाग के पालना घर में लघु जल संसाधन विभाग, साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग, खान एवं भूतत्व विभाग, पंचायता राज विभाग, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग , कृषि विभाग और उद्योग विभाग में कार्यरत महिलाओं के बच्चे इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं. दूसरा समाज कल्याण विभाग विभाग में राजस्व एवं भूमि सुधार, सामान्य प्रशासन, बिहार विधान सभा, समाज कल्याण विभाग, कोषागार विभाग, पर्यटन विभाग, जन संसाधन विभाग, तीसरा कारा विभाग में खाद्य आपूर्ति विभाग, वित्त विभाग, बिहार विधानसभा, कारा विभाग और चौथा सरदार पटेल परिसर में स्थित विभागों की महिला कर्मियों के बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं.

छह महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों के रखने की है सुविधा

इन सभी पालना घरों में छह महीने से लेकर पांच साल के बच्चों को रखने की सुविधा है. बच्चों की देखरेख के लिए एक क्रेच वर्कर और एक क्रेच हेल्पर हैं. बच्चों को खाना या दूध देना है, तो इंडक्शन और केटल की सुविधा भी है. पालना घर सुबह 9:30 बजे से लेकर शाम 6:30 बजे तक खुले रहते हैं. छह महीने से एक साल के बच्चों के लिए क्रेच है, जबकि इससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए छोटा-सा बेड भी दिया गया है. इसमें कुल 10 बच्चों को एक साथ रखने की सुविधा है. पालना घर के दीवारों पर नंबर, अल्फाबेट से लेकर स्वर-व्यंजन अंकित किये गये हैं. बच्चों के खेलने के लिए खिलौने भी हैं.

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सात जिलों में पालना घर बनाने के लिए राशि भेजी गयी है

महिला एवं बाल विकास निगम की एमडी हरजोत कौर बम्हरा ने बताया कि निगम की ओर से विभिन्न जगहों पर बनाये गये पालना घर कामकाजी महिलाओं के लिए लाभकारी साबित हो रहे हैं. सात जिलों में पालना घर बनाने के लिए राशि भेज दी गयी है, जिनमें खगड़िया जिले में पालना घर बनकर तैयार है. अन्य जिलों में यह जल्द बनकर तैयार होगा.

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