8 Years Of Seva : नरेंद्र मोदी ने दिलायी धुएं से आजादी, उज्ज्वला योजना में बिहार को मिली प्राथमिकता
Modi sarkar ke 8 saal: बिहार की रसोई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बहुत हद तक धुआं मुक्त कर दिया है. पिछले आठ वर्षों में लाखों ऐसे परिवारों की रसोई में रसोई गैस पहुंची हैं, जहां आर्थिक कारणों से अब तक यह सुविधा नहीं पहुंच पायी थी.
पटना. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) ने महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में मिसाल कायम की है. इस योजना से गरीब महिलाओं को चूल्हे के धुएं के साथ-साथ बीमारी से भी मुक्ति मिल रही है. उज्ज्वला योजना से अब सांस भी सेहतमंद होने लगी है. इतना ही नहीं उज्ज्वला योजना के कारण ईंधन के लिए पेड़ों की कटाई में भारी कमी आयी है. आज लोगों खासकर महिलाओं का कहना है कि उज्ज्वला योजना के बाद से लकड़ी के ईंधन का इस्तेमाल में कमी आयी है. इसका स्वास्थ्य और पर्यावरण पर अच्छा प्रभाव पड़ा है. मोदी सरकार ने उन्हें धुएं और कार्बन डाइऑक्साइड से मुक्ति दिलायी है.
धुआं मुक्त रसोई का सपना हुआ पूरा
बिहार की रसोई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बहुत हद तक धुआं मुक्त कर दिया है. पिछले आठ वर्षों में लाखों ऐसे परिवारों की रसोई में रसोई गैस पहुंची हैं, जहां आर्थिक कारणों से अब तक यह सुविधा नहीं पहुंच पायी थी. केंद्र की मोदी सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत बिहार के हिस्से में मिलने वाले गैस कनेक्शन की संख्या में जबरदस्त इजाफा किया. उज्ज्वला योजना के पहले चरण की तुलना में उज्ज्वला योजना के दूसरे चरण में लगभग दोगुने से अधिक गैस कनेक्शन बिहार के लिए जारी किये गये. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा के बहेड़ी प्रखंड में दूसरे चरण की शुरुआत की.
पहले चरण में बिहार को मिले थे बिहार को 24,76,953 कनेक्शन
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अधिकारिक वेबसाइट पर जारी आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2017 (उज्ज्वला योजना के पहले चरण) में बिहार को 24,76,953 गैस कनेक्शन दिये गये थे. वहीं, इस वर्ष इसकी संख्या बढ़ाकर 49,37,892 कर दी गयी. आकड़े के मुताबिक दूसरे चरण में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश को 65,35,496 गैस कनेक्शन मिले हैं. वहीं पश्चिम बंगाल को 50,71,321 गैस कनेक्शन दिये गये हैं. अब तक देश के 712 जिलों के लिए 3,58,57,178 गैस कनेक्शन जारी किये गये हैं. साथ ही 1906 हेल्पलाइन भी खोले गये हैं.
धुएं में खाना पकाने से आजादी
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने बहुत हद तक गांव के गरीब परिवार की महिलाओं को धुएं में खाना पकाने से आजादी दिलायी है. अब वो भी एक स्वस्थ जीवन जी रही हैं. ऐसा नहीं है कि उज्ज्वला योजना से सिर्फ महिलाओं के स्वास्थ्य पर व्यापक असर हुआ है, बल्कि भारी संख्या में लकड़ी तोड़ने के लिए जंगल जाने वाली महिलाओं के सम्मान की भी रक्षा हुई है. यही कारण रहा कि दूसरे चरण की शुरुआत करने के लिए दरभंगा जिले बहेड़ी अति पिछड़ा और महादलित बहुल क्षेत्र है, इसलिए योजना के दूसरे चरण की शुरुआत के लिए बहेड़ी को चुना गया है.
क्या है प्रधानमंत्री उज्जवला योजना
केंद्र सरकार की इस योजना का मकसद ग्रामीण इलाकों में रहने वाले परिवारों तक शुद्ध एलपीजी पहुंचाना है. इसके साथ इस योजना का लक्ष्य ग्रामीण महिलाओं को सशक्त करना भी है. इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बीपीएल राशन कार्ड धारकों को 1250 रुपये की जमानत राशि चुका सिलेंडर मिलता है. सिलेंडर के साथ परिवार को रेगुलेटर, पाइप फ्री में दिया जाता है. इसके साथ ही परिवार को चूल्हा किस्तों पर लेने का विकल्प दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से हुई थी शुरुआत
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत एक मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से हुई थी. देश भर में कुल एक करोड़ सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया था. दूसरे चरण के दौरान बिहार में कुल 49 लाख मिले, जिनमें से 16.13 लाख उज्ज्वला कनेक्शन बांटे जा चुके हैं. दूसरे चरण में उज्ज्वला के लाभार्थियों को एड्रेस प्रूफ देने से छूट भी दी गयी थी, जिससे कि अधिक से अधिक महिलाएं इसके दायरे में आ सकें.
मुख्य तथ्य
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– कुल उज्ज्वला उपभोक्ताओं की संख्या पहुंची 101.01 लाख पर
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– आइओसी के सबसे ज्यादा 41.23 लाख उपभोक्ता
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– उज्ज्वला 2.0 के तहत दिए गये कनेक्शन (लाख में)
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– आइओसी, बीपीसी, एचपीसी, कुल
5.63, 4.58, 5.92, 16.13
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– उज्ज्वला के कुल उपभोक्ताओं की संख्या (लाख में)
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– आइओसी, बीपीसी, एचपीसी, कुल
41.23, 27.20, 32.58, 101.01
20 फीसदी कम हुए दमा और खांसी के मामले
उज्ज्वला योजना से गरीब महिलाओं को चूल्हे के धुएं के साथ-साथ बीमारी से भी मुक्ति मिल रही है. उज्ज्वला योजना से अब सांस भी सेहतमंद होने लगी है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के कारण महिलाओं में सांस संबंधी बीमारी के मामलों में 20 प्रतिशत कमी आयी है. लोकसभा में एक पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि चूल्हे के धुएं के कारण गरीब महिलाएं सबसे ज्यादा दमा-खांसी से पीड़ित होती हैं. यह योजना दमा-खांसी के मामलों में 20 प्रतिशत तक कमी लाने में भी सफल रही है.