अररिया के रानीगंज में बनेगा बंदर बगीचा, मार्च के बाद चालू होगा राजगीर का जू-सफारी

विधानसभा में भोजनावकाश के बाद शुरू हुई कार्यवाही में ग्रामीण विकास विभाग, पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग का बजट पेश हुआ.

By Prabhat Khabar News Desk | March 9, 2021 7:29 AM

पटना. विधानसभा में भोजनावकाश के बाद शुरू हुई कार्यवाही में ग्रामीण विकास विभाग, पर्यावरण-वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग का बजट पेश हुआ. इस दौरान पर्यावरण, वन ए‌वं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री नीरज कुमार सिंह ने 735 करोड़ 75 लाख का विभागीय बजट पेश किया, जिसमें 203 करोड़ स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय तथा 554 करोड़ 61 लाख रुपये योजना मद में खर्च करने का प्रावधान रखा गया है.

उन्होंने कहा कि राज्य में 2021-22 के दौरान पांच करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित है. इस वर्ष दो करोड़ 57 लाख पौधे लगाये गये हैं. राज्य में 2009 से अब तक 30 करोड़ पौधे लगाये जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर बेहद चिंतित है और इसके संरक्षण के लिए कई अहम पहल भी किये जा रहे हैं.

इसी क्रम में अररिया के रानीगंज में एक नया जू (चिड़ियाघर) और बंदरों का आश्रय स्थल यानी बंदर बगीचा बनाने की योजना है. यह राज्य का दूसरा जू और पहला बंदर बगीचा होगा. राज्य के कई इलाकों में बंदरों का उत्पात काफी बढ़ गया है. इन इलाकों से इन्हें पकड़कर यहां लाकर छोड़ दिया जायेगा. इस स्थान में फलदार पेड़ और अन्य कई पौधे लगाये जायेंगे. इससे इन्हें प्राकृतिक आश्रय स्थल मिल सके.

मार्च के बाद चालू होगा जू-सफारी

मंत्री ने कहा कि राजगीर में मार्च के बाद राज्य का पहला जू-सफारी चालू हो जायेगा. इसके अलावा वीरपुर झील को पर्यटन केंद्र बनाया जायेगा. राज्य में मौजूद सभी आद्र भूमि वाले स्थानों का संरक्षण करके इन्हें इको टूरिज्म के तौर पर विकसित किया जायेगा. इको टूरिज्म को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने अलग रणनीति तैयार की है.

वाल्मिकी नगर के सौंदर्यीकरण का कार्य पूरा कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य में सर्पदंश से मौत होने पर आपदा प्रबंधन के तय नियमों के तर्ज पर मुआवजा देने की योजना पर फिलहाल विचार किया जा रहा है.

राज्य के अवैध ईंट-भट्टे और आरा मिलें होंगी बंद

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि राज्य में प्रदूषण फैलाने में सबसे ज्यादा भूमिका लाल ईंट-भट्टे वाले निभाते हैं. इन्हें नियंत्रित करने के लिए जीगजैग तकनीक पर ईंट भट्टा लगाने का निर्देश सभी भट्टा मालिकों को दिया गया है, परंतु अब भी राज्य में कई ईंट-भट्टे इस तकनीक के बिना ही चल रहे हैं. ऐसे भट्टों के अलावा अवैध रूप से चल रहे सभी आरा मिलों को जल्द ही बंद कर दिया जायेगा.

इसके अलावा राज्य में अभी 11 प्रदूषण मॉनीटरिंग सेंटर चल रहे हैं और आने वाले समय में ऐसे 24 नये केंद्र खोले जायेंगे. राज्य में एकल प्लास्टिक उद्योगों की स्थापना को प्रतिबंधित कर दिया गया है. पटना, मुजफ्फरपुर और गया में वाय-श्रेणी के उद्योग नहीं लगाये जायेंगे.

मंत्री ने कहा कि राज्य में घोड़पड़ास के बढ़ते आतंक को रोकने के लिए सरकार ने नयी कार्ययोजना तैयार की है. उन्होंने कहा कि इनके नर को पकड़ कर नसबंदी करने का अभियान शुरू किया जायेगा. इसके बाद इन्हें जंगल में छोड़ दिया जायेगा.

Posted by Ashish Jha

Next Article

Exit mobile version